मानव ! मत भूलो पहचान ।
धरा-धाम पर ईश्वर की तू सर्वश्रेष्ठ सन्तान ।
ज्ञान बुद्धि बल विद्या में क्या इससे बड़ा प्रमाण !
नित्य निरन्तर सृष्टि का उत्कर्ष यही उत्थान ।
मानव ! मत भूलो पहचान ।।
मनु और शतरूपा का तू स्वयं सहज हो तेज ।
आदम-हौवा और न ऐडम-ईव से है परहेज ।।
गुरुग्रन्थ बाइबिल कुरान या गीता वेद पुराण ।
मानव ! मत भूलो पहचान !
जल-थल पर स्वामित्व स्थापित धरा-गगन-आसमान ।
गूंज रहा सर्वत्र तुम्हारा ज्ञान और विज्ञान ।।
जड़-चेतन स्थावर-जंगम के तूहीं नवप्राण !
मानव ! मत भूलो पहचान ।
धरती-सागर नभ को नापो अंतरिक्ष की कक्षा ।
मानवीय मूल्यों की सेवा मानवता की रक्षा ।।
छिने नहीं चितचैन किसी का रखना इसका ध्यान !
मानव ! मिटे नहीं पहचान ।।
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