कुंडलियां(कोरोना)।
कोरोना से मच रहा, जग में हाहाकार
कैसे इससे मुक्त हों, चिंतित है संसार।
चिंतित है संसार,, चीन ने इसे बनाया
क्या होगा उपचार, किसी को नहीं बताया
कहते हरि कविराय,कभी आशा छोड़ोना
करो निरंतर खोज ,मात होगा कोरोना।
करना होगा पर हमें,तबतक कुछ उपचार।
लड़ना है इस रोग से, डरना है बेकार।
डरना है बेकार, सभी से दूरी रखिए |
रहिए घर में बंद, किसी के बदन न सटिए।
कहते हरि कविराय, हमें मिल लड़ना होगा
डॉक्टर की है राय, बहुत कुछ करना होगा|
घंटे-घंटे धोइये ,साबुन से निज हाथ|
मर जाएंगे वायरस ,नहीं लगेंगे साथ
नहीं लगेंगे साथ, रोग से आप बचेंगे
होंगे सबजन स्वस्थ, हमेशा सुखी रहेंगे
कहते हरि कविराय, आस न कभी खोइये
साबुन से निज हाथ ,घंटे-घंटे धोइये।
हरि नारायण गुप्त, मुजफ्फरपुर ,
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