नमन् तुम्हे है बारम्बार
उषा श्रीवास्तव ,मुजफ्फरपुर, बिहार ।
बिना शस्त्र के योद्धा हो तुम
हे महामारी के भगवान ,
नमन् तुम्हे है बारम्बार
तुम्हारा कर्ज चुका न पायेगें ।
कभी भूख से व्याकुल होते
कभी प्रताड़ित होना पडता,
तुम करते नहीं पलट कर वार
तुम्हारा कर्ज चुका न पायेगें ।
अपना जीवन लगा दांव पर
जन-मानस की रक्षा करते,
छोड के अपना घर-संसार
तुम्हारा कर्ज चुका न पायेगें ।
सुरक्षा कर्मी सेवा कर्मी हो
श्वेत वस्त्र जब धारण करते,
लगते धरती पर कोई अवतार
तुम्हारा कर्ज चुका न पायेगें ।
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