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अतीत के समाधि से

अतीत के समाधि से

विनय कुमार मिश्र 
अतीत के समाधि से ..
आवाज देता ब्रह्म शब्द जय ..
आर्याव्रत - इंडिया को ..
दे रहा है अमूल्य परिचय .. !
असत्य के रथ में ..
जुते है अञानता के घोडे़ ..
ये सियासी ऐतिहासिक सच ..
बहुत सत्य है - थोडे .. ?
झूठ ने सत्य की चमक को ..
अर्जुन देव महल से चुरा लीया है ..
कल का शिव मंदिर आज का ..
मुगलिया लाल कीला है .. !
आओ महसूस करो ..
ध्यान मे सत्य का सूक्षम हलचल ..
गणेश महेश को तोप कर ..
दफनाए - लाश को कहते है ताजमहल .. !
शब्द सिमट कर भाव हो ग्ए ..
तनाव ताकतवर हो कर घाव ..
मिथ्या की महीन महारथी जीभ ..
थूक मे खेती रही है नाव .. !
खुद से खुद को मिलाना ..
खुद मे खुदाई जगाना है ..
मिट्टी तो मिट्टी है ही ..
तुम्हे रंग बदलता सोना दिखाना है .. !
इतिहास के आवास पर ..
लगा है संक्रमण का ताता ..
अलंकारे चाट ग्ई है दृश्य को ..
फिर भी शब्द ब्रह्म से है -- ईश्वरीय नाता..!
सत्य भी आज संक्रमित है ..
सियासी व्याधि से ..
धर्म शब्द जय की ध्वनी प्रफुटित हुई है ..
अतीत के ऐतिहासिक समाधि से .. !

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