गरम पकौडा!
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र'"अणु"
भाग रहा सब दौडा-दौडा!
जबसे आया गरम पकौडा!!
देश धर्म का नाम नहीं है,
अब जब अपना काम नहीं है,
जनता का संग्राम नहीं है-
कथनी चौडी,करनी थोडा!
जबसे आया गरम पकौडा!!
कहते सब रोजगार नहीं है,
कोई करने को तैयार नहीं है,
सब है मालिक बेगार नहीं है,
पक्ष विपक्ष एक साथ भगोडा!
जबसे आया गरम पकौडा!!
अपना काम बनाने वाला,
जनता को भरमाने वाला,
बेवजह फसाद कराने वाला,
डींग हाकता है लंबा चौडा!
जबसे आया गरम पकौडा!!
लोकतंत्र का पाठ पढाता,
राजतंत्र का रूप दिखाता,
न्यायतंत्र को ठेंग दिखाता-
छिन हसिया और हथौडा।।
जबसे आया गरम पकौडा।।
जनता की कुछ करो भलाई,
रोजगार दो और पढाई,
अपने स्वार्थ की करो विदाई-
मत बाँटो नासुर पर फोडा!
जबसे आया गरम पकौडा!!
जनपथ भी है दौडा-दौडा!!
जबसे देखा गरम पकौडा!!
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