नौकरी के नाम पर महिलाओं का शोषण बर्दाश्त योग्य नहीं : माया श्रीवास्तव

- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यवहार पर तीखा प्रहार, सार्वजनिक माफी की मांग
पटना। समर्थ नारी–समर्थ भारत की राष्ट्रीय सह-संयोजिका एवं बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की प्रभारी माया श्रीवास्तव ने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि नौकरी और नियुक्ति कार्यक्रमों की आड़ में महिलाओं के आत्मसम्मान के साथ किया जा रहा व्यवहार किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने आयुष डॉक्टरों के नियुक्ति प्रमाण-पत्र वितरण समारोह के दौरान मंच पर हुई घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा भरी सभा में मुस्लिम समाज की महिला चिकित्सक डॉ. नुसरत परवीन का हिजाब खींचना न केवल असंवेदनशील बल्कि महिला अस्मिता पर सीधा हमला है। माया श्रीवास्तव ने इसे लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की।
बिहार छोड़ने को मजबूर हुई महिला डॉक्टर
माया श्रीवास्तव ने कहा कि इस घटना के बाद डॉ. नुसरत परवीन मानसिक रूप से आहत हुईं और उन्हें बिहार छोड़कर कोलकाता जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि “आज मुख्यमंत्री के एक कृत्य के कारण एक योग्य महिला डॉक्टर बिहार में सेवा देने को तैयार नहीं है। यह बिहार और बिहारियों दोनों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।”
एनडीए और भाजपा पर भी निशाना
उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए के नेताओं द्वारा लगातार महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं। इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी के एक नेता से जुड़ा मामला शांत भी नहीं हुआ था कि यह दूसरी घटना सामने आ गई। उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ किया जाना बेहद शर्मनाक है।
मानसिक स्थिति का हवाला देकर कृत्य को सही नहीं ठहराया जा सकता
माया श्रीवास्तव ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, तो भी मंच पर महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार किसी भी दृष्टि से क्षमायोग्य नहीं हो सकता। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि जिस धरती पर द्रौपदी का चीरहरण हुआ और महाभारत जैसा विनाशकारी युद्ध हुआ, उसी धरती पर नारी अस्मिता से खिलवाड़ का परिणाम भी विनाशकारी हो सकता है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोहराई गईं, तो देश की महिलाएं एकजुट होकर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। “नारी जाति की अस्मिता पर हमला हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे,” उन्होंने कहा।
वैकल्पिक व्यवस्था संभव थी
माया श्रीवास्तव ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मुख्यमंत्री को किसी तरह का संदेह था कि हिजाब की आड़ में प्रमाण-पत्र किसी अन्य व्यक्ति को न मिल जाए, तो इसके लिए वैकल्पिक और सम्मानजनक तरीके मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि:
महिला सुरक्षा कर्मियों के माध्यम से जांच कराई जा सकती थी,
या पहले से दिशा-निर्देश जारी कर मंच पर आने से पूर्व आवश्यक औपचारिकता पूरी कराई जा सकती थी।
“खुद हाथ बढ़ाकर किसी महिला का हिजाब खींचना उनकी गलत मानसिकता और सत्ता के दुरुपयोग को दर्शाता है,” उन्होंने कहा।
बिहार की छवि धूमिल, सार्वजनिक माफी की मांग
माया श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि इस घटना से देश और दुनिया में बिहार की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अविलंब सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की। साथ ही उन्होंने मुस्लिम समाज के रहनुमाओं से भी आग्रह किया कि वे इस मामले पर चुप न रहें और खुलकर विरोध दर्ज कराएं।
प्रधानमंत्री से भी सवाल
उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सवाल करते हुए कहा कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा केवल भाषणों तक सीमित है या वास्तव में बेटियों की अस्मिता की रक्षा के लिए केंद्र सरकार कभी आवाज उठाएगी। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ता में बैठे लोगों से उम्मीद करना अब खुद का अपमान लगता है।माया श्रीवास्तव के इस तीखे बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है और महिला अधिकारों को लेकर एक बार फिर गंभीर बहस छिड़ गई है।
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