मैं स्वर्णिम रक्तिम मधुरिम राजस्थान हूं
कुमार महेंद्रधरा अंतर सौंधी सुगंध,
अनंत स्नेह प्रेम वंदन ।
मोहक रंग बिरंगी संस्कृति,
रग रग अपनत्व स्पंदन ।
मातृभूमि रक्षा जीवन ध्येय,
तिरंगी आन बान शान हूं ।
मैं स्वर्णिम रक्तिम मधुरिम राजस्थान हूं ।।
अदम्य साहस उत्सर्ग गाथा ,
गौरव अभिरक्षित इतिहास ।
परा विरासत छटा अद्भुत,
चित्रण संघर्ष विजय उल्लास ।
रज रज हल्दीघाटी सौरभ,
पन्ना निष्ठा प्रताप स्वाभिमान हूं ।
मैं स्वर्णिम रक्तिम मधुरिम राजस्थान हूं ।।
सर्वत्र नैसर्गिक मनोरमा,
पुलकित प्रफुल्लित हर भोर ।
अभाव संग भव्य मुस्कान,
परिवेश लोक राग रंग सराबोर ।
देख अरावली मस्त यौवन,
नित्य आह्लादित रेगिस्तान हूं ।
मैं स्वर्णिम रक्तिम मधुरिम राजस्थान हूं ।।
शुद्ध सात्विक जीवन शैली,
मर्यादा संस्कार अनुपालन ।
सजीली परंपराएं अमूल्य धरोहर,
घट घट आत्मीयता बिछावन ।
जन्म धरा प्रकृति प्राण प्रिय,
अमृता खेजड़ी मैत्री आह्वान हूं ।
मैं स्वर्णिम रक्तिम मधुरिम राजस्थान हूं ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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