उत्तराखंड: हिमालय की गोद में प्रकृति का महासंगम
सत्येन्द्र कुमार पाठक
भारत के उत्तर-मध्य भाग में स्थित उत्तराखंड मात्र एक राज्य नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव है। उत्तर में तिब्बत (चीन) और पूर्व में नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को छूता यह राज्य अपनी बर्फीली चोटियों, कल-कल बहती पवित्र नदियों और देवत्व से सराबोर वायु के कारण 'देवभूमि' कहलाता है। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर भारत के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया यह प्रदेश आज दुनिया के लिए आध्यात्मिक शांति और साहसिक पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र है। उत्तराखंड का 53,484 वर्ग किमी का क्षेत्रफल विविधताओं से भरा है। यहाँ एक ओर मैदानों की तपिश को शांत करने वाला हरिद्वार है, तो दूसरी ओर समुद्र तल से 7,816 मीटर ऊँची नंदा देवी चोटी है।
उत्तराखंड को भारत की जीवनरेखा व नदियों का मायका माना जाता है। यहाँ से गंगा और यमुना जैसी महान नदियाँ निकलती हैं। अलकनंदा, भागीरथी, धौलीगंगा और मंदाकिनी जैसी नदियों का जाल इस भूमि को पवित्रता प्रदान करता है।नहर्बल स्टेट: अपनी दुर्लभ जड़ी-बूटियों के कारण इसे 'हर्बल स्टेट' घोषित किया गया है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (एशिया का पहला नेशनल पार्क) से लेकर फूलों की घाटी तक, यहाँ हिम तेंदुए, कस्तूरी मृग और भड़ल जैसे दुर्लभ जीव पाए जाते हैं।. चमोली: प्रकृति और ईश्वर एकाकार हैं।चमोली जिला उत्तराखंड के आध्यात्मिक मानचित्र का हृदय है। यह जिला अपनी ऊँचाई और दुर्गम सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।नबद्रीनाथ धाम: भगवान विष्णु का यह निवास स्थान 'सत्य युग' का प्रतीक माना जाता है। अलकनंदा के तट पर स्थित यह मंदिर नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित है। यहाँ का तप्त कुंड विज्ञान के लिए आज भी रहस्य है, जहाँ कड़कड़ाती ठंड में भी खौलता हुआ पानी निकलता है।
माणा: भारत का प्रथम गाँव: बद्रीनाथ से आगे बढ़ते ही 'माणा' गाँव आता है। इसे अब 'भारत का प्रथम गाँव' कहा जाता है। यहाँ का भीम पुल, व्यास गुफा और गणेश गुफा महाभारत काल की साक्षात गवाह हैं। यहीं से सरस्वती नदी का उद्गम होता है और कुछ ही दूरी पर वह अदृश्य हो जाती है।प्रयागों की श्रृंखला: चमोली जिले में तीन प्रमुख प्रयाग हैं—विष्णुप्रयाग (अलकनंदा-धौलीगंगा), नंदप्रयाग (अलकनंदा-नंदाकिनी) और कर्णप्रयाग (अलकनंदा-पिंडर)। ये संगम केवल जल का मिलन नहीं, बल्कि श्रद्धा के केंद्र हैं। शक्ति स्थल: यहाँ अनुसूया माता का मंदिर संतान प्राप्ति की कामना के लिए प्रसिद्ध है, तो गोपीनाथ मंदिर का विशाल त्रिशूल सदियों से अडिग खड़ा है।
रुद्रप्रयाग: महादेव की तपस्थली - रुद्रप्रयाग जिला भगवान शिव के उपासकों के लिए मोक्ष का द्वार है। यहाँ की हवाओं में 'ॐ नमः शिवाय' की गूंज महसूस की जा सकती है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित केदारनाथ, पंच केदार में सबसे प्रधान है। 2013 की त्रासदी के बाद भी इस मंदिर का अडिग रहना इसकी दैवीय शक्ति का प्रमाण माना जाता है।तुंगनाथ: बादलों के ऊपर शिवालय: चमोली और रुद्रप्रयाग की सीमा पर स्थित तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है। यहाँ पहुँचने का मार्ग बुग्यालों (घास के मैदानों) से होकर गुजरता है।
त्रियुगीनारायण: अमर विवाह की अग्नि: रुद्रप्रयाग का यह गाँव उस अलौकिक विवाह का साक्षी है, जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। यहाँ की अग्नि तीन युगों से जल रही है।
कालीमठ सिद्धपीठ: सरस्वती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ देवी काली की मूर्ति नहीं, बल्कि एक कुंड की पूजा होती है, जो आध्यात्मिक रहस्यवाद का प्रतीक है। जहाँ हिमालय पहाड़ों को विदा कर मैदानों में प्रवेश करता है, वहीं बसता है हरिद्वार। हर की पौड़ी: भगवान विष्णु के चरण चिह्नों वाली यह जगह कुंभ मेले का मुख्य स्थान है। यहाँ की संध्या आरती एक ऐसा दृश्य है जिसे देखने पूरी दुनिया उमड़ती है।।ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संगम: हरिद्वार में दक्षेश्वर महादेव (शिव का ससुराल), ब्रह्मकुंड (ब्रह्मा जी की तपस्थली) और हर की पौड़ी (विष्णु का द्वार) एक ही सूत्र में पिरोए हुए हैं।शक्तिपीठों का त्रिकोण: नील पर्वत पर चंडी देवी, बिल्व पर्वत पर मनसा देवी और मध्य में माया देवी हरिद्वार की रक्षा करती हैं।ऋषि परंपरा: सप्त ऋषि आश्रम में गंगा का सात धाराओं में बँटना यहाँ के प्राचीन ऋषियों के सम्मान की कथा कहता आज का उत्तराखंड केवल मंदिरों तक सीमित नहीं है। राज्य सरकार ने डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन जैसी सेवाओं को ऑनलाइन कर पारदर्शिता सुनिश्चित की है। देहरादून जैसे शहर आधुनिक शिक्षा और तकनीक के केंद्र बन रहे हैं। 'हर्बल स्टेट' होने के नाते यहाँ की जड़ी-बूटियों का निर्यात वैश्विक स्तर पर हो रहा है। पर्यटन यहाँ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण अब यहाँ की पहली प्राथमिकता बन गया है।उत्तराखंड एक ऐसा कैनवास है जिस पर ईश्वर ने स्वयं प्रकृति के रंगों से चित्रकारी की है। चमोली के हिमनद हों, रुद्रप्रयाग की रहस्यमयी गुफाएँ हों या हरिद्वार के पवित्र घाट—यह भूमि हर व्यक्ति को कुछ न कुछ देती है। यह राज्य सिखाता है कि कैसे आधुनिकता के दौर में भी अपनी पौराणिक जड़ों को मजबूती से पकड़ कर रखा जा सकता है।
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