जीवन एक संगीत है
अरुण दिव्यांशजीवन तो एक संगीत है ,
जिंदगी का सच्चा मीत है ,
जीवन स्वयं स्वर्ग बनता ,
जब संगीत से ही प्रीत है ।
संगीत जीवन का शीत है ,
संगीत जीवन का रीत है ,
बसा संगीत मस्तिष्क में ,
सही जीवन का जीत है ।
जब चित्त बसा संगीत है ,
जीवन संगीत का कृत है ,
संगीत बिन जीवन अधूरा ,
संगीत जीवन का घृत है ।
संगीत जीवन हर्ष नृत है ,
संगीत जीवन का हृत है ,
संगीत ही जीवन सजाता ,
संगीत बिन जीवन मृत है ।
जीवन संगीत का नीत है ,
संगीत बिन जीवन अनीत है ,
संगीत देता हर्ष जीवन में ,
संगीत है तो जीवन विनीत है ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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