Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

रविवार, सूर्य और गायत्री का प्राचीन आध्यात्मिक यात्रा

रविवार, सूर्य और गायत्री का प्राचीन आध्यात्मिक यात्रा

सत्येन्द्र कुमार पाठक
भगवान सूर्य, जीवन का स्रोत और ऊर्जा का प्रतीक, आदिकाल से ही मानव सभ्यता के केंद्र में रहा है। इसकी पूजा लगभग हर संस्कृति में किसी न किसी रूप में की जाती रही है। भारतीय संस्कृति में, सूर्य को न केवल एक आकाशीय पिंड, बल्कि एक देवता, एक प्रबुद्ध ऊर्जा और चेतना का प्रतीक माना जाता है। रविवार, जिसे 'सूर्यवार' भी कहा जाता है, इसी सूर्य को समर्पित है। "रविवार" शब्द संस्कृत के "रवि" (सूर्य) और "वार" (दिन) से बना है। यह नाम सीधे तौर पर सूर्य से जुड़ा है। पश्चिमी कैलेंडर में भी इसे संडे , सुन्स डे , सांस डे , सन्स डे "Sunday" (Sun's day) कहते हैं, जो सूर्य के प्रति वैश्विक सम्मान को दर्शाता है। भारतीय ज्योतिष में, सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यह आत्मा, पिता, नेतृत्व, शक्ति और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। रविवार को सूर्य की उपासना से इन गुणों में वृद्धि मानी जाती है। प्राचीन काल से ही रविवार को सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना, उपवास रखना और सूर्य मंत्रों का जाप करना एक सामान्य प्रथा रही है। माना जाता है कि ऐसा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है। कई सभ्यताओं में, जैसे मिस्र और मेसोपोटामिया में, सूर्य देवताओं के लिए विशेष दिन और अनुष्ठान होते थे।
भगवान . सूर्य: ब्रह्मांडीय चेतना का केंद्र वेदों में सूर्य: वेदों में सूर्य को "जगत की आत्मा" कहा गया है (सूर्यो आत्मा जगतस्तस्थुषश्च)। ऋग्वेद में सूर्य को आदित्य, सविता, पूषा, मित्र जैसे विभिन्न नामों से स्तुति की गई है, जिनमें से प्रत्येक सूर्य के एक विशेष पहलू (भौतिक, चेतनात्मक, आध्यात्मिक) का प्रतिनिधित्व करता है।पुराणों में सूर्य: पुराणों में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, जिनके रथ को सात घोड़े खींचते हैं। सूर्य पुराणों में उनकी महिमा, वंश और लीलाओं का विस्तृत वर्णन है।आयुर्वेद और प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में सूर्य के प्रकाश को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। सूर्य स्नान (सुबह की धूप लेना) विटामिन डी और समग्र स्वा: स्थ्य के लिए फायदेमंद बताया गया है। भारतीय दर्शन में सूर्य को अज्ञान के अंधकार को दूर करने वाले ज्ञान और प्रकाश के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक का प्रतिनिधित्व करता है।गायत्री को "वेदमाता" कहा जाता है क्योंकि यह सभी वेदों का सार मानी जाती है। गायत्री मंत्र ऋग्वेद के मंडल 3, सूक्त 62, मंत्र 10 में पाया जाता है, जिसके ऋषि विश्वामित्र हैं।गायत्री मंत्र का केंद्रीय देवता "सविता" है, जो सूर्य का चेतनात्मक स्वरूप है। मंत्र "तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि" में 'सवितुः' सूर्य के प्राणदायक रूप को दर्शाता है और 'भर्ग' उसके दिव्य तेज को। गायत्री मंत्र मूल रूप से सूर्य के दिव्य प्रकाश (भर्ग) को अपनी बुद्धि (धी) में धारण करने और उसे प्रज्ज्वलित करने की प्रार्थना है।प्राचीन काल से ऋषि-मुनि गायत्री मंत्र का जाप करते रहे हैं। यह साधना व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है। माना जाता है कि इसके नियमित जाप से बुद्धि तेज होती है, मन शांत होता है और आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है।गायत्री मंत्र के कंपन और सूर्य के प्रकाश के बीच एक गहरा संबंध माना जाता है। यह ध्यान और जाप के माध्यम से मस्तिष्क की तरंगों को सिंक्रनाइज़ करता है, जिससे गहरी एकाग्रता और आंतरिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। रविवार, सूर्य और गायत्री तीनों आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। रविवार सूर्य को समर्पित दिन है, सूर्य ब्रह्मांडीय चेतना का प्रतीक है, और गायत्री मंत्र सूर्य की उस चेतना को भीतर उतारने का एक शक्तिशाली साधन है। यह त्रिवेणी भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है, जो हजारों वर्षों से मानव जीवन को प्रकाश और ऊर्जा से भरती आ रही है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे भीतर भी एक सूर्य है, जिसे गायत्री साधना के माध्यम से जागृत किया जा सकता है।


हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ