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मानव पछतायेगा

मानव पछतायेगा

संजय जैन

हे मानव सुन कर ले जतन।
मौका मिला है कर ले पूजन।
बाद में तू पछतायेगा जब
पिंजरे से पंक्षी उड़ जायेगा।
हे मानव सुन कर ले जतन...।।

तू ने दौलत बहुत कमाई।
पर किसी की न की भलाई।
लोभ माया से तू ने नाता जोड़ा।
पर प्रभु से तू ने नाता तोड़ा।
बाद में तू पछतायेगा जब
पिंजरे से पंक्षी उड़ जायेगा।
हे मानव सुन कर ले जतन...।।

सारी उम्र तू भागता रहा है।
जिससे तेरा घर द्वार छुटा है।
बच्चों आदि से तेरा नाता टूटा है।
हाथ तेरे बस पैसा ही आया है।
जिस दिन तू यहाँ से जायेगा।
तेरे कर्म ही तेरे आगे काम आयेगा।
बाद में तू पछतायेगा जब
पिंजरे से पंक्षी उड़ जायेगा।
हे मानव सुन कर ले जतन..।।

क्यों करता है मेरा मेरा
न कुछ तेरा न कुछ मेरा।
नंगा तू आया था
नन्गा ही तू जायेगा।
तेरा करा धरा ही
तेरे समाने आयेगा।
बाद में तू पछतायेगा जब
पिंजरे से पंक्षी उड़ जायेगा।
हे मानव सुन कर ले जतन...।।

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई

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