दिलके तार जुड़े
संजय जैन "बीना" मुंबईदिल धड़क ने लगा है
तो प्यास भी बढ़़ने लगी।
दिल के तार दिल से
मिलकर बजने लगे।
सच कहे तो दिल में
नई सरगम बन गई।।
स्वर साधना और स्वर ताल
सजने और बजने लगे।
तेरे दिल के तारो से
मेरे तार जुड़ने लगे।
सच कहें तो प्यार के
नये गीत बन गये।
और प्यार मोहब्बत की
महफ़िलो में गूंजने लगे।।
गीत गजल के दौर में
रातें रंगीन होने लगी।
गीत भले ही मेरे हो
पर आवाज़ तुम्हारी है।
जिसके कारण ही गीतों में
श्रोताओं की आत्मा जागी है।
और हसीनाओं के दिलों में
प्यार मोहब्बत पनप ने लगी है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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