वर्ष बिदाई
अरुण दिव्यांशकैसे करें वर्ष तुझे हम बिदा ,
हो रहे आज तुम हमसे जुदा ।
ई. 2025 की आज बिदाई ,
ई. 2026 आज रात है कूदा ।।
कुछ गम दिए कुछ हर्ष दिए ,
वर्ष में हर्ष क्रंदन उत्कर्ष दिए ।
आभार तेरा बहुत ई. 2025 ,
जाते जाते 2026 वर्ष दिए ।।
जाओ वर्ष अब हर्षित मन से ,
तेरा बहुत बहुत है आभार ।
ड्योढ़ी पर अगला वर्ष मिले ,
उसे भेजना सादर साभार ।।
आए तुम भी तो जिस दिन ,
तुम्हारा भी स्वागत हुआ था ।
उस दिन भी गया था कोई ,
जब तेरा ये आगत हुआ था ।।
भेजना उसे भी हर्षित मन ,
हर्षित मन हों हम स्वीकार ।
कायम रहे प्रेम विश्वबन्धुत्व ,
कभी नहीं हो किसी से रार ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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