प्यार दुलार
अरुण दिव्यांशहमर संस्कार फरे ,
हमर दुलार फरे ,
हमर प्यार फरे ,
तोहर संसार फरे ।
विघ्न बाधा टरे ,
हर व्याधि हरे ,
हीरा मोती भरे ,
सुख स्वास्थ्य वरे ।
भय संशय टरे ,
गृह लक्ष्मी ढरे ,
तू आचार चरे ,
हर बलाए मरे ।
हनुमत याद करे ,
भूत पिसाच डरे ,
दुश्मन न लड़े ,
जय सियाराम हरे ।
लक्ष्मी विष्णु अड़े ,
गौरीशंकर खड़े ,
ना दुश्मन तरे ,
हर संकट हरे ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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