बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार होने पर प्रशासन से प्राप्त अधिकार
— डॉ. राकेश दत्त मिश्र
भारतीय समाज में बुजुर्ग पारिवारिक धरोहर और ज्ञान के स्तंभ माने जाते हैं। लेकिन बदलती सामाजिक संरचना, आर्थिक दबाव और पारिवारिक टूटन के कारण अनेक वृद्धजन आज मानसिक, शारीरिक और आर्थिक उत्पीड़न का सामना करते हैं। दुर्भाग्य यह है कि कई बार यह उत्पीड़न उनके अपने ही परिजन करते हैं—उन्हीं परिजनों से जिन पर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी सबसे अधिक होती है।
ऐसी स्थिति में बुजुर्गों को यह जानना आवश्यक है कि वे असहाय नहीं हैं। भारतीय संविधान, विभिन्न विधियों तथा प्रशासनिक व्यवस्थाओं के तहत उन्हें कई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं, जिनकी मदद से वे अपने साथ हुए किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।
1. बुजुर्गों के अधिकारों की मूल नींव—भारतीय विधि क्या कहती है?
भारत में बुजुर्गों के संरक्षण हेतु सबसे महत्वपूर्ण कानून है—
(A) माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007
यह कानून स्पष्ट रूप से बताता है कि:
✔ परिजन कानूनी रूप से बाध्य हैं कि वे अपने माता-पिता या वरिष्ठ परिजनों की
- देखभाल करें,
- भोजन, दवा, कपड़े और सुरक्षा उपलब्ध कराएं,
- किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न से दूर रखें।
✔ अगर परिजन यह जिम्मेदारी नहीं निभाते,
तो बुजुर्ग Maintenance Tribunal (भरण-पोषण न्यायाधिकरण) में शिकायत कर सकते हैं।
✔ अधिनियम के तहत बुजुर्ग को प्राप्त अधिकार:
- परिजनों से प्रतिमाह भरण-पोषण राशि मांगने का अधिकार
- अपने ही नाम पर हुई संपत्ति को वापस लेने का अधिकार
- संपत्ति से अवैध कब्जाधारियों को हटवाने का अधिकार
- उत्पीड़न करने वाले परिजनों को घर से बाहर करवाने का अधिकार
शिकायत पर पुलिस/SDM द्वारा तत्काल हस्तक्षेप
यह अधिनियम बुजुर्गों के लिए एक ढाल की तरह कार्य करता है।
2. दुर्व्यवहार के प्रकार जिन्हें कानून समान रूप से दंडनीय मानता है
परिजन अगर किसी प्रकार से बुजुर्गों के साथ ये कृत्य करते हैं, तो उन्हें कानूनी अपराध माना जाता है—
✔ शारीरिक उत्पीड़न
मारपीट, धक्का देना, जान से मारने की धमकी, भोजन व दवा न देना आदि।
✔ मानसिक उत्पीड़न
गाली-गलौज, डराना-धमकाना, अपमानित करना, अकेला छोड़ देना, घर से निकालना।
✔ आर्थिक उत्पीड़न
पेंशन, बैंक खाते, जायदाद या अन्य वित्तीय संसाधनों का जबरन नियंत्रण।
✔ उपेक्षा
जानबूझकर उचित इलाज, भोजन, कपड़े या रहने की व्यवस्था न करना।
इन सभी के खिलाफ बुजुर्गों को कानून और प्रशासन से त्वरित संरक्षण प्राप्त है।
3. प्रशासन से प्राप्त प्रमुख अधिकार और संरक्षण
यहाँ वे सभी अधिकार दिए गए हैं जो परिजन द्वारा दुर्व्यवहार की स्थिति में बुजुर्गों को प्रशासन के माध्यम से प्राप्त होते हैं—
(A) पुलिस संरक्षण का अधिकार
बुजुर्ग पुलिस को तुरंत फोन कर सकते हैं।
✔ पुलिस बाध्य है कि:
- तुरंत सहायता प्रदान करे
- घर जाकर स्थिति का निरीक्षण करे
- असुरक्षित बुजुर्ग को सुरक्षित स्थान पर ले जाए
- उत्पीड़क परिजन के खिलाफ FIR दर्ज करे
वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्थापित Senior Citizen Cell को रिपोर्ट भेजे
✔ वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन
National Elder Line – 14567 (24×7)
तत्काल सहायता, काउंसलिंग और पुलिस हस्तक्षेप उपलब्ध है।
(B) SDM/Sub-Divisional Magistrate से संरक्षण
2007 अधिनियम के अंतर्गत SDM को विशेष शक्तियाँ मिलती हैं—
✔ SDM परिजनों को नोटिस भेजकर तुरंत सुनवाई कर सकते हैं।
✔ उत्पीड़क परिजन को बुजुर्ग से दूर रहने का आदेश दे सकते हैं।
✔ संपत्ति पर कब्ज़ा हटाने का आदेश दे सकते हैं।
✔ बुजुर्ग को मासिक भरण-पोषण की राशि तय कर सकते हैं (₹10,000 तक या राज्य के अनुसार)।
✔ आपात मामले में 72 घंटे के भीतर हस्तक्षेप अनिवार्य है।
(C) आश्रय गृह और वृद्धाश्रम में रहने का अधिकार
यदि परिजन बुजुर्ग को घर में रहने नहीं देते हैं—
जिला प्रशासन उन्हें सरकारी वृद्धाश्रम में सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराता है।
राज्य सरकारें वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त भोजन, चिकित्सा और सुरक्षा की व्यवस्था करती हैं।
(D) संपत्ति व घर से अवैध कब्जा हटाने का अधिकार
यदि परिजन—
बुजुर्ग की संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लें
उन्हें घर से निकाल दें
तो बुजुर्ग SDM अथवा जिला प्रशासन के माध्यम से—
✔ कब्जाधारियों को हटवाने
✔ परिजनों को घर से बाहर करवाने
✔ संपत्ति का वैध कब्जा वापस पाने
का आदेश दिलवा सकते हैं।
यह एक बहुत मजबूत कानूनी सुरक्षा है, जिसका लाभ अनेक बुजुर्गों ने उठाया है।
4. शिकायत कहाँ और कैसे दर्ज करें?
1. पुलिस में शिकायत (FIR/NC)
नजदीकी थाने में
ऑनलाइन पोर्टल (राज्य के अनुसार)
112 और 14567 (Elder Line) पर कॉल कर सहायता
2. SDM/भरण-पोषण ट्रिब्यूनल में आवेदन
आवश्यक दस्तावेज
पहचान पत्र
मेडिकल रिपोर्ट (यदि उत्पीड़न हो)
घर/संपत्ति से संबंधित कागजात
गवाह (यदि हों)
SDM द्वारा 15–30 दिनों में सुनवाई प्रारंभ हो जाती है।
3. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) से मुफ्त कानूनी सहायता
बुजुर्गों को वकील मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है।
वे न्यायालय में केस, शिकायत, और सुरक्षा के लिए मार्गदर्शन देते हैं।
5. अन्य महत्वपूर्ण सरकारी सुविधाएँ
✔ वरिष्ठ नागरिक कार्ड
पुलिस व अस्पताल सहायता हेतु विशेष पहचान।
✔ मेडिकल सुविधा
सरकारी अस्पतालों में
मुफ्त परामर्श
प्राथमिकता
कुछ राज्यों में निःशुल्क दवाई
✔ बैंकिंग सुरक्षा
बैंक बुजुर्गों की शिकायत पर उनके खाते की सुरक्षा और दुरुपयोग पर तुरंत कार्रवाई करते हैं।
6. बुजुर्ग क्या करें? (व्यावहारिक सुझाव)
✔ अपने अधिकारों के बारे में जागरूक रहें
कानून शक्तिशाली है—उसे जानना आवश्यक है।
✔ प्रमाण सुरक्षित रखें
मैसेज
ऑडियो
मेडिकल रिपोर्ट
गवाह
✔ किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को सहन न करें
तुरंत शिकायत करें—कानून आपके साथ है।
✔ Elder Line 14567 पर तुरंत संपर्क करें
टीम घर जाकर हस्तक्षेप करती है।
बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एक सामाजिक अपराध ही नहीं, बल्कि कानूनी अपराध भी है। यदि परिवार के सदस्य अपने ही माता-पिता या परिजनों के प्रति अमानवीय व्यवहार करते हैं, तो प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था बुजुर्गों को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करती है।
भारत की न्याय प्रणाली यह मानती है कि—
“वृद्धजन का सम्मान राष्ट्र का सम्मान है।”
और इसीलिए उन्हें संविधान, कानून और प्रशासन से विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं।
बुजुर्गों को चाहिए कि वे अपने अधिकारों का प्रयोग करें, आवाज उठाएँ और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को चुपचाप न सहें। समाज, कानून और प्रशासन—तीनों उनके साथ खड़े हैं।
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