बोधगया में आचार्यकुल का रचनात्मक मंथन

गया जी । बिहार:
ज्ञान और मोक्ष की पवित्र भूमि बोधगया एक बार फिर गहन वैचारिक मंथन का केंद्र बनने जा रही है। महात्मा गांधी, संत विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण (जेपी) की रचनात्मक और अहिंसक विचारधाराओं को समर्पित प्रतिष्ठित संगठन आचार्यकुल का तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन 16 से 18 दिसंबर, 2025 को बोधगया से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित बोधि ट्री स्कूल, श्रीपुर में आयोजित किया जाएगा।
यह महत्वपूर्ण आयोजन मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के बीच गांधीवादी और रचनात्मक विचारों की प्रासंगिकता को पुनर्स्थापित करने का एक बड़ा प्रयास है। इस समागम का मुख्य उद्देश्य विश्वभर के उन चिंतकों को एक मंच पर लाना है, जो निर्भिक, निष्पक्ष, अहिंसक, असंप्रदायिक, और अराजनैतिक सोच में विश्वास रखते हैं।
आचार्यकुल की स्थायी ब्रह्मचारिणी और संत विनोबा भावे जी की मानस पुत्री, सुश्री प्रवीणा देसाई ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बोधगया की पावन धरती पर यह समागम विश्वभर के रचनात्मक विचारों को एकीकृत करने और वैश्विक संकटों का गांधीवादी समाधान खोजने के लिए किया गया है।
यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन देश के 22 राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, भूटान, नेपाल, मॉरीशस, थाईलैंड जैसे देशों के आचार्यकुल सदस्यों, भूदान यज्ञ के प्रतिनिधियों, साहित्यकारों, कवियों, पत्रकारों और समाजसेवियों की मेजबानी करेगा। अधिवेशन का संचालन आचार्यकुल के पूर्व कुलपति एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आचार्य धर्मेन्द्र के नेतृत्व में किया जाएगा। मुख्य एजेंडे में कई दूरगामी और ऐतिहासिक महत्व के विषयों पर विचार-विमर्श शामिल है: 2027 में आचार्यकुल के 60वें वर्षगांठ की भव्य तैयारी की रूपरेखा। स्थापना वर्ष 2026, 2027 एवं 2028 हेतु आचार्यकुल के प्रमुख कार्यक्रम 'जय जगत' की गतिविधियों पर गहन मंथन।भूदान यज्ञ आन्दोलन के 75वें वर्ष (2026) के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रमों के आयोजन पर विचार।
चरखा संघ के स्थापना वर्ष पर महत्वपूर्ण चर्चा।ग्राम सभा सहयोग अभियान को सशक्त बनाने की रणनीति।साहित्य, कला, संस्कृति, पत्रकारिता प्रकोष्ठ और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को सशक्त बनाने, गठन और विस्तार पर विचार।वैचारिक मंथन के साथ ही, राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान एक कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा, जो कलात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम है।
आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन काल में सभी प्रतिनिधियों के ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था 15 दिसम्बर की संध्या से 19 दिसम्बर के सुबह तक पूर्णतः निःशुल्क रहेगी। हालांकि, प्रतिभागियों को अपना यात्रा व्यय स्वयं वहन करना होगा। समुचित व्यवस्था के लिए, सभी संभावित प्रतिनिधियों से अपनी आगमन की तिथि और समय निर्धारित कर पहले ही सूचित करने का अनुरोध किया गया है। आचार्यकुल के राष्ट्रीय प्रवक्ता सत्येन्द्र कुमार पाठक ने इसे महात्मा गांधी, विनोबा भावे और जेपी की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले रचनात्मक चिंतकों का समागम बताया है। आयोजन समिति में प्रमुख रूप से डॉ. आचार्य धर्मेन्द्र (पूर्व कुलपति एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष) , सुश्री प्रवीणा देसाई (स्थायी ब्रह्मचारिणी एवं न्यासी) , धीरेन्द्र भाई (बोधि ट्री फाउन्डेशन के चेयरमैन सह स्वागताध्यक्ष) ,श्रीमती उषा किरण श्रीवास्तव (कला संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय प्रभारी) , सत्येन्द्र कुमार पाठक (राष्ट्रीय प्रवक्ता) है।
बोधगया में 16 से 18 दिसंबर, 2025 को आयोजित होने वाले आचार्यकुल के अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन का एजेंडा अत्यंत व्यापक और दूरगामी महत्व का है। यह तीन दिवसीय समागम केवल संगठनात्मक समीक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य महात्मा गांधी, विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण (जेपी) की रचनात्मक और अहिंसक विचारधाराओं को 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुरूप ढालना है।आचार्यकुल की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, अधिवेशन का एक प्रमुख एजेंडा इसकी भव्य तैयारी की रूपरेखा बनाना है। इसमें निम्नलिखित पर गहन विचार-विमर्श होगा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 60वें वर्षगांठ को कैसे मनाया जाए, ताकि संगठन की विचारधारा का अधिकतम प्रसार हो सके। आचार्यकुल के पिछले छह दशकों के रचनात्मक कार्यों का एक विस्तृत ऐतिहासिक दस्तावेज़ या ग्रंथ तैयार करने की योजना बनाना। अगले दशक के लिए ऐसी नई रचनात्मक और सामाजिक परियोजनाओं को शुरू करने की रूपरेखा, जो गांधीवादी मूल्यों को युवा पीढ़ी से जोड़ सकें।
'जय जगत' (विश्व की जय हो) आचार्यकुल का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो वैश्विक शांति और एकता की भावना पर केंद्रित है। अधिवेशन में स्थापना वर्ष 2026, 2027 और 2028 हेतु इसकी गतिविधियों पर मंथन किया जाएगा:
वैश्विक पहुंच: 'जय जगत' की गतिविधियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कैसे और अधिक प्रभावी ढंग से विस्तारित किया जाए। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: विभिन्न देशों के गांधीवादी , विनोवावादी और रचनात्मक संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाकर विश्व शांति और सतत विकास के लक्ष्यों को कैसे आगे बढ़ाया जाए। युवा सहभागिता: युवाओं को 'जय जगत' के दर्शन से जोड़ने के लिए डिजिटल माध्यमों और आधुनिक संचार उपकरणों का उपयोग करने की रणनीति।
संत विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए ऐतिहासिक भूदान यज्ञ आंदोलन के 75वें वर्ष (2026) के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रमों के आयोजन पर विचार किया जाएगा: पुनर्स्मरण और प्रासंगिकता: भूदान आंदोलन के उद्देश्यों और सफलताओं को वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में पुनर्स्थापित करना। भूमि न्याय: भूमि सुधार और न्याय के मुद्दों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए नए अभियान या पहल शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा। प्रतिनिधि सम्मेलन: भूदान यज्ञ के प्रतिनिधियों का एक विशेष राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने की योजना, जिसमें आंदोलन के जीवित अनुभवों को साझा किया जा सके।
संगठन को सशक्त बनाने के लिए संगठनात्मक कोषांगों के कार्यों की समीक्षा और सदस्यता अभियान का विस्तार प्रमुख है। इसके अलावा, निम्नलिखित रचनात्मक प्रकोष्ठों के गठन और विस्तार पर जोर दिया जाएगा:
साहित्य, कला और संस्कृति प्रकोष्ठ: गांधीवादी विचारों को साहित्य, कविता (कवि सम्मेलन), नाटक और लोक कलाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना । रचनात्मक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय आचार्यकुल सदस्यों का एक सशक्त नेटवर्क बनाना। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को सशक्त बनाना: यह प्रकोष्ठ वैश्विक एकता और सहिष्णुता के विचारों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आचार्यकुल की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को दर्शता है। गांधी जी के ग्राम स्वराज के स्वप्न को साकार करने के लिए ग्राम सभा सहयोग अभियान को सशक्त बनाने की रणनीति पर विशेष चर्चा होगी। इसका उद्देश्य विकेन्द्रीकृत शासन और ग्रामीण सशक्तिकरण के लिए स्थानीय ग्राम सभाओं को रचनात्मक समर्थन देना है। यह अधिवेशन महात्मा गांधी और विनोबा भावे के सिद्धांतों को केवल अतीत की धरोहर न मानकर, उन्हें वर्तमान और भविष्य की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने वाले जीवंत दर्शन के रूप में स्थापित करने का प्रयास है।डॉ. आचार्य धर्मेन्द्र आचार्यकुल के पूर्व कुलपति एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जिनके नेतृत्व में बोधगया में अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन (दिसंबर 2025) का आयोजन किया जा रहा है। डॉ. आचार्य धर्मेन्द्र आचार्यकुल के एक वरिष्ठ और मार्गदर्शक नेता हैं। संगठन में उनकी प्रमुख स्थिति यह दर्शाती है कि वह महात्मा गांधी, संत विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण (जेपी) की रचनात्मक विचारधाराओं को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। : वह आचार्यकुल के पूर्व कुलपति (Chancellor) और राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। बोधगया में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन का संचालन और मार्गदर्शन डॉ. आचार्य धर्मेन्द्र के नेतृत्व में ही किया जा रहा है। इसका अर्थ है कि वह अधिवेशन के मुख्य एजेंडे, जैसे 'जय जगत' कार्यक्रम की रूपरेखा और भूदान आंदोलन के 75वें वर्ष की तैयारी, को दिशा दे रहे हैं। डॉ. आचार्य धर्मेन्द्र की भूमिका केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि वैचारिक भी है। वह उन रचनात्मक चिंतकों में से हैं जो अहिंसा, निर्भीकता, निष्पक्षता और असाम्प्रदायिकता के गांधीवादी मूल्यों को वर्तमान वैश्विक संदर्भ में पुनर्स्थापित करने के लिए कार्यरत हैं। उनका नेतृत्व आचार्यकुल को संगठन की 60वीं वर्षगांठ (2027) और भूदान यज्ञ आंदोलन के 75वें वर्ष (2026) के लिए एक मजबूत नींव तैयार करने में सहायक होगा।
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