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कला एवं संस्कृति विभाग की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ, कलाकारों और विरासत को मिला नया संबल

कला एवं संस्कृति विभाग की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ, कलाकारों और विरासत को मिला नया संबल

पटना।
बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने वर्ष 2025 में अपनी योजनाओं और पहलों के माध्यम से राज्य की कला, संस्कृति और विरासत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का कार्य किया है। विभाग की उपलब्धियाँ न केवल कलाकारों के जीवन में सम्मान और सुरक्षा लेकर आई हैं, बल्कि बिहार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त पहचान भी दिला रही हैं।

कलाकारों को सम्मान और सामाजिक सुरक्षा
राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना के तहत जीवन भर कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले वरिष्ठ, उपेक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को ₹3000 प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत पटना, सारण, खगड़िया, कटिहार, पूर्णिया, बांका, भोजपुर, अररिया, जहानाबाद और किशनगंज जिलों के 85 कलाकारों का चयन किया जा चुका है।

गुरु-शिष्य परंपरा से विलुप्त कलाओं का संरक्षण
विलुप्तप्राय लोक कलाओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत अनुभवी कलाकार गुरु बनकर युवाओं को पारंपरिक लोक कला, संगीत, नृत्य और वादन का प्रशिक्षण देंगे। अब तक इस योजना में 233 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनकी समीक्षा जारी है।

जिलों में अटल कला भवन, सांस्कृतिक विकेंद्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम
सांस्कृतिक गतिविधियों को जिला स्तर पर बढ़ावा देने के लिए सभी जिला मुख्यालयों में 620 दर्शक क्षमता वाले आधुनिक अटल कला भवन के निर्माण की योजना शुरू की गई है। सारण, गया, पूर्णिया, सहरसा, बेगूसराय, मुंगेर और दरभंगा में निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि अन्य जिलों में कार्य प्रगति पर है।

कलाकारों का मनोबल बढ़ाने के लिए बिहार कला सम्मान
तीन वर्षों से लंबित बिहार कला सम्मान पुरस्कारों को पुनः शुरू करते हुए 52 कलाकारों को सम्मानित किया गया और कुल ₹27 लाख की पुरस्कार राशि वितरित की गई। इससे कलाकारों के मनोबल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

डिजिटल पहल और फिल्म नीति से नई पहचान
कलाकारों के लिए एक समग्र कलाकार पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिस पर अब तक 3800 से अधिक कलाकार पंजीकृत हो चुके हैं। वहीं बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति 2024 के प्रभावी क्रियान्वयन से 30 से अधिक फिल्मों, वेब सीरीज और डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग को अनुमति मिली, जिससे बिहार एक उभरते फिल्म हब के रूप में सामने आया है।

युवा प्रतिभाओं को अवसर और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उपस्थिति
फिल्म और नाट्य क्षेत्र में 20 मेधावी युवाओं को ₹13.53 लाख की छात्रवृत्ति प्रदान की गई। साथ ही 56वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा में बिहार की सक्रिय भागीदारी ने राज्य की रचनात्मक छवि को मजबूत किया।

विरासत संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा
वैशाली में ₹550.48 करोड़ की लागत से निर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन 29 जुलाई 2025 को हुआ, जिससे वैश्विक बौद्ध पर्यटन मानचित्र पर बिहार को नई पहचान मिली। इसके अतिरिक्त लखीसराय की ऐतिहासिक लाल पहाड़ी के संरक्षण तथा कई नए संग्रहालयों और विरासत स्थलों के विकास को भी स्वीकृति दी गई है।

छठ महापर्व को यूनेस्को सूची में शामिल कराने का प्रयास
कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा छठ महापर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया गया है, जिससे इस महापर्व को वैश्विक पहचान मिल सके।

कुल मिलाकर, कला एवं संस्कृति विभाग की ये उपलब्धियाँ बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ कलाकारों, युवाओं और रचनात्मक उद्योगों के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रही हैं। 
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