"जीवन -पथ"
रजनीकांतसूना सूना पथ जीवन का
जिस पर चलना आसान नहीं,
आश बची बस इतनी सी
मिल जायेगा सम्मान कहीं।
प्यारे परिजन छूटे सारे
मैं पड़ा रहा चुपचाप वहीं,
कोई तो रुक कर पूछेगा
जो बातें अबतक नहीं कही।
खट्टे मीठे अनुभव अपने
सुनकर क्या कोई कर लेगा,
हमसफ़र वही राही होगा
जो क्लेश हृदय का हर लेगा।
यह पथ सिखलाता है हमको
जैसे भी हो चलते रहना,
गर थक जाओ चलते चलते
दुःख दर्द किसी से ना कहना।
नमन करो इस पथ को हरदम
जिस पर चलने का क्रम चलता,
जो जीत गया चलते चलते
जीवन में वह फिर कब मिलता?
जो शेष बचे हैं चल ही रहे
पर लक्ष्यहीन जायेंगे कहां,
केवल भरमाते लोग मिले
पथ पर हारे जो यहां वहां।
रजनीकांत।
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