संसारी आदमी
जय प्रकाश कुवंरमेरी गलतियां लोगों से छुपाया न गया।
मेरी अच्छाईयां जुबां पर लाया न गया।।
मैं मानव हूँ, मुझमें बहुत बुराई है,
तो कुछ अच्छाई भी है।
लोग केवल मेरी बुराई ढूंढने में लगे रहे।
मेरी अच्छाईयों को सबसे, स्वीकारा न गया।।
दुध में अगर पानी मिला हुआ है, तो
शुद्ध दुध पीने के लिए हंस बनना पड़ता है।
केवल सबों का आलोचना करते रहे लोग,
अच्छाईयों को संजोना, किसी से सम्भारा न गया।।
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