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निर्णय ले अब..

निर्णय ले अब..

संजय जैन
दान दिया जाये की तीर्थ किये जाये।
सोच ले मानव क्या किया जाये ...२।
सत्य बोला जाये के असत्य बोला जाये।
बोल मानव बोल क्या बोला जाये..२।।


आत्मा अपनी मैंने बहुत झकजोरी।
अपने मन को भी मैंने समझाया।
तुझको कर्मो की जंजीरे पसंद आई।
हा पसंद आई
धर्म किया जाये के दान दिया जाये।
बोल मानव बोल क्या किया जाये..२।।


आ रही हंसी मानव की कहानी पे।
आ रहा तरस उसके करनी पर।
आज तू जकड़ा हाँ तू जकड़ा।
देखो कैसे कर्मों के बंधो से।
छोड़ दिया जाये के
प्रभु से नाता जोड़ लिया जाये।
सोच मानव सोच क्या किया जाये..२।।


जिंदगी तूने देखो गवा दी है।
दौलत को कामना गमाने में।
अब तेरे उम्र भी हो चुकी है।
हा उम्र हो चुकी
खुदका आत्मकल्याण करने के लिए।
निर्णय लिया जाये फिर कर्म किया जाये।
सोच मानव सोच क्या किया जाये...२।।
दान दिया जाये की तीर्थ किये जाये।
बोल मानव बोल क्या किया जाये।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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