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महान स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार थे बुद्धिनाथ झा कैरव

महान स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार थे बुद्धिनाथ झा कैरव

  • जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ भव्य कवि सम्मेलन , कवियों ने दी गीतांजलि

पटना, १८ नवमबर। १९४२ क्रांति के अग्र-पांक्तेय नायकों में से एक पं बुद्धिनाथ झा 'कैरव' केवल एक बलिदानी स्वतंत्रता सेनानी और आदर्श राजनेता ही नहीं, अपितु एक स्तुत्य साहित्यकार भी थे। स्वतंत्रता पूर्व १९३७ में बिहार विधान सभा के लिए हुए निर्वाचन में गोड्डा से विधायक चुने गए कैरव जी १९४२ के आंदोलन में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा गिरफ़्तार कर लिए गए थे और उन्हें भागलपुर सेंट्रल जेल में बंद रखा गया था। स्वतंत्रता के पश्चात वे १९५७ तक विधान सभा के सदस्य रहे, किंतु पटना या देवघर में, जिसे उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र बनाया था एक घर तक नहीं बना सके। राजनीति उनके लिए सत्ता-सुख की नहीं, सेवा और आत्म-सुख की साधन रही।

यह बातें मंगलवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह एवं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, कैरव जी की साहित्यिक और कार्य-नैपुण्य प्रतिभा बहुमुखी थी। उनकी समाज-सेवा,राष्ट्रसेवा और साहित्य-सेवा के साथ राजनैतिक दिशा भी मानवतावादी और संवेदना प्रधान रहीं। साहित्य सम्मेलन के प्रचारमंत्री के रूप में उन्होंने तत्कालीन बिहार के सभी ज़िलों में ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलनों को सक्रिए और सार्थक बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वे सम्मेलन के एकादशवें अधिवेशन के अवसर पर तत्कालीन संथाल परगना में हिन्दी-प्रचार्राथ गठित उपसमिति के संयोजक बनाए गए थे। आदिम जातियों के बीच हिन्दी के प्रचार में उनके योगदान को सदा स्मरण किया जाएगा। वे देवघर-विद्यापीठ के संस्थापक निबन्धक तथा महेश नारायण साहित्य शोध संस्थान, दुमका के अध्यक्ष थे। उनकी प्रमुख कृतियों में 'आगे बढ़ो', 'पश्चाताप', 'खादी लहरी', 'लवण लीला', 'अछूत', 'उत्सर्ग', 'क़ैदी', 'हीरा', 'आरती' , काव्य-संकलन 'अंतर जलन' तथा आलोचना-ग्रंथ 'साहित्य-साधना की पृष्ठभूमि' विशेष उल्लेख्य हैं।

सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, सरदार महेन्दर पाल सिंह ढिल्लन, डा रत्नेश्वर सिंह, डा आर प्रवेश, ईं अशोक कुमार और आशा रघुदेव ने भी पंडित कैरव को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया और उनके साहित्यिक व्यक्तित्व की सम्मानपूर्वक चर्चा की।

इस अवसर पर आयोजित कविसम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि शायर आरपी घायल, डा ओम् प्रकाश पाण्डेय, सुनील कुमार, सिद्धेश्वर, डा शालिनी पाण्डेय, कुमार अनुपम, सदानन्द प्रसाद, अरविन्द अकेला, नीता सहाय, सुनीता रंजन, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, अर्जुन प्रसाद सिंह, उत्पल कुमार आदि कवियों और कवयित्रियों ने पंडित कैरव को गीतांजलि दी। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सम्मेलन के भवन अभिरक्षक प्रवीर कुमार पंकज ने किया।

डा प्रेम प्रकाश, आनन्द मोहन झा, ललिता पाण्डेय, डा चंद्रशेखर आज़ाद, मनोज रंजन कुमार,राम प्रसाद ठाकुर, राज कुमार, नन्दन कुमार मीत आदि प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।

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