बिहार की नई सरकार का शुरुआत होगा - गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह
दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |
बिहार का राजनीतिक इतिहास जितना पुराना और व्यापक है, उतना ही जीवंत भी है। लोकतंत्र की रीढ़ कहे जाने वाले इस राज्य में जब भी किसी नई सरकार का गठन होता है, तो यह सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं होता है बल्कि यह जनमत की ऊर्जा, जनता की आकांक्षाओं और बिहार के भविष्य को नई दिशा देने का अवसर होता है। इसी श्रृंखला में अब राजधानी पटना एक बार फिर बड़े राजनीतिक आयोजन की तैयारी में डूबा है। नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह इस बार ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने जा रहा है, और इसी को लेकर 17 नवंबर से 20 नवंबर तक पूरे मैदान को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है।
गांधी मैदान, जिसकी मिट्टी ने कई ऐतिहासिक राजनीतिक आंदोलनों का साक्ष्य दिया है, अब नई सरकार की शुरुआत का प्रतीक बनने जा रहा है। चार दिनों की बंदी, जिला प्रशासन की सख्त हिदायतें, उच्चस्तरीय सुरक्षा, मंच निर्माण और विशाल जनसमूह की तैयारियाँ, सब इस ओर संकेत कर रही हैं कि बिहार एक बड़े राजनीतिक उत्सव का गवाह बनने वाला है।
पटना का गांधी मैदान वही जगह है, जिसे बिहार की राजनीति का धड़कता दिल कहा जाता है। यहाँ कई बार इतिहास लिखा गया है। जेपी आंदोलन की गूंज, राजनीति के दिग्गज नेताओं की रैलियाँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के आयोजन, आपदा प्रबंधन के बड़े शिविर और अब नई सरकार का शपथ ग्रहण। गांधी मैदान केवल एक खुला सार्वजनिक स्थल नहीं है, यह बिहार की सामाजिक-राजनीतिक भावना का प्रतीक है। इसलिए जब भी यहाँ कोई बड़ा आयोजन होता है, तो उसकी तैयारी भी उतनी ही व्यापक और संवेदनशील होती है। इस बार भी मामला अलग नहीं है। नई सरकार के शपथ ग्रहण को देखते हुए मैदान को पूरी तरह सील कर दिया गया है।
जैसे ही यह पुष्टि हुई कि नई सरकार का शपथ ग्रहण गांधी मैदान में ही होगा, पटना जिला प्रशासन तुरंत सक्रिय हो गया है। 17 से 20 नवंबर तक गांधी मैदान को आम जनता के लिए बंद कर देना एक सामान्य फैसला नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति है।
आदेश में साफ कहा गया है कि सामान्य तौर पर सुबह-शाम टहलने आने वाले लोगों का प्रवेश बंद, खेल गतिविधियों से जुड़े छात्रों और खिलाड़ियों का प्रवेश बंद, किसी भी नागरिक को मैदान में आने की अनुमति नहीं, चारों ओर घेराबंदी और पुलिस बल की तैनाती, प्रवेश-निकास पूरी तरह नियंत्रित,कार्यक्रम की तैयारियों के लिए मशीनें और वाहन लगातार जुटाए जाएंगे। यह बंदी व्यवस्था 20 नवंबर तक जारी रहेगी, ताकि किसी भी प्रकार की बाधा के बिना मंच निर्माण, स्टेज की लाइटिंग, सुरक्षा उपकरणों की स्थापना और वीवीआईपी मूवमेंट की रूपरेखा तैयार की जा सके।
नई सरकार के शपथ ग्रहण के लिए कई जगहों का विकल्प था, जैसे- राजभवन, मुख्यमंत्री सचिवालय, वीर कुंवर सिंह स्टेडियम जैसे बड़े परिसरों और पिछले कुछ वर्षों में विकसित सभागार। लेकिन गांधी मैदान को चुनने के पीछे कई कारण हैं। गांधी मैदान में लाखों लोगों के बैठने और खड़े होने की जगह है। यह बिहार में किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए सबसे विशाल, सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान है। पटना शहर का दिल माने जाने वाला यह मैदान पहुंचने में आसान है। आसपास होटल, सड़कें, पार्किंग और सभी प्रशासनिक सुविधाएँ मौजूद हैं। यहाँ शपथ ग्रहण करना बिहार की जनता को संदेश देता है कि नई सरकार की शुरुआत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर खड़ी है और वह जन-संवाद की परंपरा को आगे ले जाएगी। जो मुख्यमंत्री या गठबंधन सरकार जनता की भागीदारी पर विश्वास जताना चाहती है, वह बड़े जनसंख्या वाले आयोजनों को प्राथमिकता देती है।
गांधी मैदान में बड़े आयोजन पहले भी हुए हैं, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह की प्रकृति अलग होती है। इसमें शामिल होते हैं प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री, देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, हाई प्रोफाइल वीवीआईपी, विदेशी अतिथि (कुछ मामलों में), हजारों की संख्या में आम लोग, ऐसे में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
पटना जिला प्रशासन और बिहार पुलिस ने पहले से ही हर गेट पर मेटल डिटेक्टर, बॉडी स्कैनर और मोबाइल जैमर्स लगाए जाएंगे। CID, स्पेशल ब्रांच, ATS, जिला पुलिस, बम स्क्वॉड, डॉग स्क्वॉड सभी को जगह-जगह तैनात किया जाएगा। ड्रोन कैमरे से पूरे आयोजन की निगरानी होगी। गांधी मैदान से हवाईअड्डा, राजभवन और सचिवालय तक विशेष रूट तय किया जाएगा। महिला पुलिस, NCC कैडेट, होमगार्ड और प्रशासनिक अधिकारी बड़े पैमाने पर उपस्थित रहेंगे।
शपथ ग्रहण का मंच सिर्फ एक मंच नहीं होता है बल्कि यह नई सरकार के आने वाले वर्षों की छवि भी प्रस्तुत करता है। सूत्रों के अनुसार मंच करीब 200 फीट लंबा बनाया जायेगा। VIP बैठने के लिए शानदार छत और कुर्सियों की व्यवस्था होगी। स्क्रीन पूरे मैदान में लगाई जायेगी। 60 से अधिक टॉवर लाइटें लगाई जाएगी। समारोह की थीम बिहार की सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित होगी। स्टेज पर पारंपरिक और आधुनिकता का मिश्रण होगा। मंच की सुरक्षा में SPG जैसी एजेंसियाँ भी शामिल होगी (यदि प्रधानमंत्री आते हैं)।
शपथ ग्रहण सिर्फ शपथ लेने तक सीमित नहीं होता है। यह एक राजनीतिक-प्रशासनिक सांस्कृतिक आयोजन होता है। कार्यक्रम में शामिल होंगे नई सरकार के मंत्रियों की शपथ, राष्ट्रीय गान और राज्य गीत, राज्यपाल का संबोधन (संक्षिप्त रूप में), मुख्यमंत्री का पहला सार्वजनिक संबोधन, फूलों की सजावट और सांस्कृतिक स्वागत प्रदर्शन, सुरक्षा बलों द्वारा औपचारिक सलामी और विशिष्ट अतिथियों का अभिनंदन। पटना में यह आयोजन संभवतः बिहार के इतिहास में सबसे बड़े और व्यवस्थित आयोजनों में शामिल होगा।
गांधी मैदान पटना के नागरिकों के लिए कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह किसी से छिपा नहीं है। प्रतिदिन सुबह-शाम हजारों लोग टहलने, योग करने, रनिंग करने, खेल के अभ्यास करने और शांत समय बिताने इस मैदान में आते हैं। चार दिनों तक मैदान बंद रहने से इनकी दिनचर्या जरूर प्रभावित होगी। अधिकांश लोग इस बंदी को नई सरकार के शपथ ग्रहण की आवश्यकता मानते हुए सहयोग कर रहे हैं।
कुछ नागरिकों का कहना है कि “यह चार दिन की असुविधा है, लेकिन राज्य का बड़ा कार्यक्रम है, इसलिए स्वीकार्य है।” “जब बड़े नेता और हजारों लोग एक जगह इकट्ठा होंगे, तो सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।”
गांधी मैदान के आसपास स्टेशनरी दुकानें, होटल, फल-सब्जी की दुकानें, छोटी चाय और फास्ट-फूड की दुकानें, खेल सामग्री बेचने वाले दुकान, ऑटो और ई-रिक्शा ड्राइवर, इन सभी की रोजमर्रा की आय कुछ हद तक प्रभावित होती है। लेकिन कार्यक्रम के दिन बड़ी संख्या में लोगों के आने से कई व्यापारी अधिक आय की संभावना भी देख रहे हैं।
जिला अधिकारी, SSP, नगर आयुक्त और कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारी सक्रिय रूप से योजना का निरीक्षण कर रहे हैं। प्रशासन का लक्ष्य है सुरक्षा, सुव्यवस्था, ट्रैफिक मैनेजमेंट, जनता की सुविधा और समारोह की गरिमा। इसके लिए 3000 से अधिक सुरक्षाकर्मी, 200 ट्रैफिक पुलिस, 50 वरिष्ठ अधिकारी और कई प्रशासनिक टीमों को तैनात किया जा रहा है।
शहर के मध्य में गांधी मैदान का आयोजन ट्रैफिक को प्रभावित करता है। शपथ ग्रहण समारोह के लिए अशोक राजपथ, फ्रेजर रोड, डाकबंगला चौराहा, बुद्ध मार्ग, बोरिंग रोड चौराहा और पटना जंक्शन की सड़कों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। ट्रैफिक पुलिस आंशिक रूट डायवर्जन भी लागू कर सकती है।
नई सरकार किस तरह शुरुआत करती है, यह जनता की धारणा पर गहरा प्रभाव डालता है। भव्य शपथ ग्रहण समारोह बताता है कि सरकार आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। जनता और नेतृत्व के बीच गहरा जुड़ाव है। पारदर्शिता और भागीदारी पर आधारित सरकार होगी। प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन और विपक्ष को एक राजनीतिक संकेत मिलता है। बिहार की राजनीति में प्रतीकवाद हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। गांधी मैदान में शपथ लेना एक बड़ा प्रतीकात्मक कदम माना जाएगा।
गांधी मैदान में कई ऐतिहासिक घटनाएँ हुई हैं, जिनमें जेपी आंदोलन की लहर, बिहार विधानसभा चुनावों की बड़ी रैलियाँ और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम शामिल है। नई सरकार का यहाँ शपथ लेना ‘जनता के बीच से सत्ता उठने’ का संदेश देता है।
शपथ ग्रहण के साथ ही सबसे बड़ी उत्सुकता रहती है कौन मंत्री बनेगा?, कौन बड़े विभागों को संभालेगा?, युवा चेहरों को कितना मौका मिलेगा?, महिलाओं की भागीदारी कितनी होगी? और सामाजिक समीकरण का संतुलन कैसे बनेगा? शपथ ग्रहण समारोह इन सवालों का जवाब लेकर आएगा।
सत्ता पक्ष और समर्थकों में उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। विपक्ष भी इस आयोजन को बारीकी से देख रहा है। बड़ी पार्टियों की ओर से समर्थन के संदेश, आलोचनाएँ और शुभकामनाएँ सभी की राजनीतिक भाषा में मौजूद हैं।
शपथ ग्रहण समारोह एक उत्सव है, लेकिन यह उम्मीदों की शुरुआत भी है, जनता चाहती है रोजगार और उद्योगों में सुधार हो, सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हो, शिक्षा और स्वास्थ्य में गुणवत्ता हो, आधारभूत संरचना का विस्तार हो, ग्रामीण विकास और कृषि सुधार हो, युवा नीति बेहतर बने और महिलाओं को अधिक सुरक्षा और अवसर मिले। जब मुख्यमंत्री जनता के सामने शपथ लेते हैं, तो यह उम्मीदों का पर्व भी बन जाता है।
नई सरकार शपथ के साथ ही कई घोषणाओं की शुरुआत कर सकती है, जिसमें 100 दिनों का कार्ययोजना, नई योजनाओं का ऐलान, विभागों का पुनर्गठन, निवेश नीति में बदलाव, विकास परियोजनाओं का पुनरावलोकन। क्योंकि शपथ ग्रहण एक ‘नए अध्याय का पहला पृष्ठ’ होता है।
यह समारोह से कई सामाजिक संदेश भी निकलता हैं। वह है लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती, जनता का विश्वास, सामाजिक समावेशीता, विकास की प्राथमिकता, युवाओं और महिलाओं की भूमिका। गांधी मैदान से निकलने वाली ये आवाजें पूरे बिहार में गूंजेगी।
गांधी मैदान में होने वाला शपथ ग्रहण समारोह एक ऐतिहासिक, भव्य और जिम्मेदारी भरी शुरुआत है। चार दिनों की बंदी, भारी सुरक्षा व्यवस्था, मंच निर्माण, और हजारों लोगों की भागीदारी, यह सब आने वाली सरकार के प्रति लोगों की उम्मीदों और राज्य की राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाता है। नई सरकार की शपथ से न केवल सत्ता बदलेगी, बल्कि बिहार की दिशा और दशा को भी प्रभावित करने वाले फैसलों की शुरुआत होगी।
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