मानव अधिकार रक्षक संस्था ने पटना के जगनपुरा में सुलझाया पारिवारिक विवाद

दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |
समाज में जब आपसी टकराव और विवाद अपने चरम पर पहुँच जाता है, तब किसी निष्पक्ष संस्था की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है बिहार के जगनपुरा क्षेत्र से, जहाँ मानव अधिकार रक्षक संस्था ने न केवल एक लंबे समय से चल रहे पारिवारिक जमीनी विवाद को सुलझाया है, बल्कि समाज में शांति, सहयोग और समझदारी की नई मिसाल भी पेश की है।
जगनपुरा निवासी श्री संतोष कुमार ने अपने पारिवारिक जमीनी विवाद के समाधान हेतु दिनांक 05 नवंबर 2025 को मानव अधिकार रक्षक संस्था को एक आवेदन सौंपा। संस्था ने इस आवेदन को गंभीरता से लेते हुए, मामले की गहन जांच प्रारंभ की। संस्था का उद्देश्य केवल विवाद निपटान ही नहीं, बल्कि आपसी संबंधों में विश्वास और सामंजस्य को पुनः स्थापित करना भी है।
संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रितु कुमारी, युवा सचिव अनिल कुमार और जिला सचिव संतोष अग्रवाल ने स्वयं मामले की बारीकियों को समझने और निष्पक्ष निर्णय हेतु 09 नवंबर 2025 को स्थल का दौरा किया। मौके पर दोनों पक्षों से विस्तारपूर्वक बातचीत की गई। संस्था के प्रतिनिधियों ने संवेदनशीलता, धैर्य और विवेक का परिचय देते हुए दोनों पक्षों को संवाद के माध्यम से नजदीक लाया।
संस्था के मार्गदर्शन में की गई चर्चा फलदायी सिद्ध हुई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की भावनाओं और दृष्टिकोण को समझते हुए विवाद को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से समाप्त करने का निर्णय लिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि दोनों परिवारों ने संस्था के निर्णय को न केवल स्वीकार किया, बल्कि लिखित रूप में अपनी सहमति और संतोष भी व्यक्त किया।
इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि जब मध्यस्थता निष्पक्षता और मानवीय दृष्टिकोण से की जाए, तो कोई भी विवाद बड़ा नहीं होता है। संस्था ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि संवाद ही समाधान का सर्वोत्तम मार्ग है।
मानव अधिकार रक्षक संस्था अपने स्थापना दिवस से ही समाज में न्याय, मानवता, और आपसी भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए कार्यरत रही है। चाहे किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा हो या सामाजिक न्याय के लिए पहल। यह संस्था हर स्तर पर निष्पक्षता और सहानुभूति का परिचय देती रही है।
इस पहल के बाद जगनपुरा क्षेत्र के लोगों में भी सकारात्मक संदेश गया है कि समस्याओं का समाधान अदालतों या झगड़ों में नहीं, बल्कि आपसी बातचीत और समझदारी में निहित है।
संस्था की यह सामाजिक पहल न केवल विवाद समाधान का उदाहरण है, बल्कि यह उस दिशा में उठाया गया कदम है जहाँ समाज में “न्याय के साथ शांति” का वातावरण स्थापित हो सके।
इस प्रकार, मानव अधिकार रक्षक संस्था ने एक बार फिर अपने नाम के अनुरूप मानवता, न्याय और सद्भाव की रक्षा करते हुए समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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