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राष्ट्रीय स्तर पर 'जीवनधारा' का मंथन

राष्ट्रीय स्तर पर 'जीवनधारा' का मंथन

नई दिल्ली । देश की राजधानी दिल्ली का लविष्टा होटल करोलबाग में आयोजित 24 नवम्बर 2025 को जीवनधारा नमामी गंगे शिखर सम्मेलन ने जल, पर्यावरण, और गंगा संरक्षण जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर देशव्यापी मंथन किया। सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हरिओम शर्मा और उपाध्यक्ष सत्येन्द्र कुमार पाठक सहित देशभर के प्रतिनिधियों ने सक्रिय जनभागीदारी को समय की मांग बताते हुए इसे सकारात्मक ऊर्जा के संचार का माध्यम बताया । राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हरिओम शर्मा ने अपने विचारों में गंगा को मात्र एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की प्राणशक्ति बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करना वस्तुतः मानवीय जीवन के संरक्षण का ही एक हिस्सा है, क्योंकि हमारी सभ्यता और संस्कृति इसी जलधारा के किनारे विकसित हुई है। डॉ. शर्मा के अनुसार, गंगा संरक्षण का कार्य केवल सरकारी परियोजना नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों की आस्था और विरासत को बचाने का राष्ट्रीय दायित्व है, जिसके लिए हर नागरिक को सक्रियता दिखानी होगी। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र कुमार पाठक ने पर्यावरण और जल संरक्षण को सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ा। उनका मत था कि जब व्यक्ति स्वच्छता और संबर्धन के कार्य में सक्रियता अपनाता है, तो यह उसके भीतर और समाज में भी सकारात्मकता का संचार करता है। उन्होंने अपील की कि जल एवं पर्यावरण स्वच्छता अभियान में केवल बातें नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, पाठक जी ने एक गंभीर नैतिक और पर्यावरणीय विषय—अन्न की बर्बादी—पर भी विचार रखे। उन्होंने कहा कि अन्न का अपव्यय केवल भोजन का नुकसान नहीं है, बल्कि यह उसे उगाने में लगे पानी, ऊर्जा और श्रम का भी विनाश है, जो सीधे तौर पर पर्यावरण को हानि पहुंचाता है। अतः, अन्न का सम्मान करना भी पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।बिहार राज्याध्यक्ष डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुए इस सम्मेलन में बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और बंगाल सहित विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इन प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्रीय अनुभव साझा किए और पर्यावरण, जल, गंगा और संस्कृति संरक्षण के लिए समर्पित भाव से कार्य करने का संकल्प लिया। शिखर सम्मेलन का समापन राष्ट्रीय महासचिवों, राज्य एवं जिला अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को सम्मान पत्र और नमामी गंगे का कप देकर किया गया। यह सम्मान न केवल उनके प्रयासों की सराहना थी, बल्कि यह दर्शाती है कि जीवनधारा नमामी गंगे संस्था एक जन-आंदोलन के रूप में देश के कोने-कोने में नदियों के प्रति जागरूकता और सम्मान की भावना को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। शिखर सम्मेलन में दिव्या स्मृति , लवकुश कुमार ,डॉ. गीता सिंह , डॉ संगीता सागर , डॉ अनिता देवी , ममता शर्मा , मोनिका अग्रवाल , डॉ राजनीप्रभा , लोकेश पांडेय आदि ने शिखर सम्मेलन में विचार दी ।
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