आस्था, सेवा और साधना का अद्भुत संगम है - “पंडित शम्भू नाथ झा की आध्यात्मिक यात्रा”

दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर |
भारत की सांस्कृतिक विरासत में वैदिक मंत्रों का स्थान सदियों से सर्वोच्च रहा है। इन मंत्रों का शुद्ध उच्चारण न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है, बल्कि वातावरण को भी पवित्रता से भर देता है। इसी परंपरा को जीवंत करते हैं “पंडित श्री शम्भू नाथ झा”।
“पंडित शम्भू नाथ झा”, जो वैदिक मंत्रों के श्रेष्ठतम और शुद्धतम उच्चारण के लिए विख्यात हैं, वे विधिवत पूजा-आर्चना कर ईश्वरीय आशीर्वाद का आह्वान करते हैं। उनके मंत्रोच्चार की गूंज केवल कानों में नहीं, बल्कि उपस्थित हर व्यक्ति के हृदय में उतरी है। उनके द्वारा किए गए रुद्राभिषेक और वैदिक अनुष्ठानों की विशिष्ट शैली उन्हें न केवल देश बल्कि विदेशों में भी सम्मान दिलाती है। “पंडित शम्भू नाथ झा” की एक और विशेषता है व्यक्ति के मुखाकृति पढ़ने की कला। यह इन्हें और भी विशिष्ट बनाता है।
भारतीय संस्कृति में अध्यात्म, तप और सेवा का अनूठा संगम जिस व्यक्ति के जीवन में दिखता है, वह निस्संदेह समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है। “पंडित शम्भू नाथ झा” ऐसे ही एक विद्वान, तपस्वी और सेवा-समर्पित व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपनी साधना, संस्कृति-निष्ठा और अनुष्ठान विशेषज्ञता से देश-विदेश में पहचान बनाई है।
“पंडित शम्भू नाथ झा” का व्यक्तित्व भारतीयता की सुगंध से सराबोर है। वे हमेशा खराँव (लकड़ी का चप्पल) और पारंपरिक भारतीय परिधान (धोती-कुर्ता) पहनकर ही देश-विदेश की यात्राएँ करते हैं। यह न सिर्फ उनकी सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है बल्कि भारत के आध्यात्मिक गौरव को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाता है।
उनकी आध्यात्मिक यात्राओं में सबसे पवित्र और कठिन रही “स्वर्गारोहिणी यात्रा”, जहाँ उन्हें अनेक ऋषियों और तपस्वियों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यह यात्रा जीवन के उच्चतम आध्यात्मिक अनुभवों में से एक माना जाता है। इसी के साथ, उन्होंने कई बार “कैलाश मानसरोवर यात्रा” की है और मानसरोवर के पवित्र तट पर रूद्राभिषेक कर शिव उपासना का विशिष्ट पुण्य अर्जित किया है।
उनकी विद्वत्ता और अनुष्ठान-कुशलता को समाज और न्याय जगत दोनों ने सराहा है। पटना हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा ने भी उन्हें रूद्राभिषेक में उनके अद्भुत ज्ञान और दक्षता के लिए सम्मानित किया है। यह उनके कार्यों की आध्यात्मिक प्रामाणिकता का प्रमाण है।
ज्योतिष और अध्यात्म के क्षेत्र में भी “पंडित शम्भू नाथ झा”की प्रतिष्ठा कम नहीं है। इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज, चेन्नई की नेशन वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अनीता नारायण ने वर्ष 2025 में उन्हें ‘ज्योतिष विशारद’ की उपाधि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। यह सम्मान “पंडित शम्भू नाथ झा” की ज्योतिषीय विद्वता और वर्षों की साधना का परिणाम है।
उनके यहाँ सभी प्रकार के अनुष्ठान विद्वान पंडितों द्वारा शुद्ध विधि-विधान से कराया जाता है, चाहे वह रूद्राभिषेक हो, गृह प्रवेश, जप-तप, हवन या अन्य कोई धार्मिक कार्य। खास बात यह है कि वे देशभर से आने वाले सैकड़ों श्रद्धालुओं को निःशुल्क सेवा प्रदान करते हैं, जो उनके सेवा-भाव और लोकमंगल की भावना को उजागर करता है।
“पंडित शम्भू नाथ झा” का आश्रम और निवास पूर्वी गोला रोड, बाजार समिति, गली नं-1, वार्ड नं-35, दानापुर, पटना में अवस्थित है। यह आध्यात्मिक seekers के लिए एक पवित्र स्थल की तरह है, जहाँ हर आगंतुक समाधान, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लेकर लौटता है।
“पंडित शम्भू नाथ झा” उन दुर्लभ व्यक्तित्वों में से एक हैं जो परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु बनकर समाज में अध्यात्म, संस्कृति और सेवा के दिव्य संदेश को प्रसारित कर रहे हैं। उनकी जीवन यात्रा न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी बताती है कि जब साधना और सेवा एकसाथ चलें, तो व्यक्ति स्वयं प्रकाश का स्रोत बन जाता है।
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