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महामहोपाध्याय डॉ. सर गंगानाथ झा की स्मृति में संगोष्ठी — मिथिला की श्रोत्रिय परंपरा और भारतीय शिक्षा-जगत के आदर्शों का हुआ स्मरण

महामहोपाध्याय डॉ. सर गंगानाथ झा की स्मृति में संगोष्ठी — मिथिला की श्रोत्रिय परंपरा और भारतीय शिक्षा-जगत के आदर्शों का हुआ स्मरण

मधुबनी।
मिथिला की श्रोत्रिय परंपरा, सरसों–पाही क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और भारतीय दर्शन के महान स्तंभ महामहोपाध्याय डॉ. सर गंगानाथ झा की पुण्यस्मृति में आज मधुबनी जिले में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्वानों ने डॉ. झा के जीवन, व्यक्तित्व, कृतित्व और भारतीय शिक्षा-जगत में उनके अप्रतिम योगदान का विस्तार से स्मरण किया।

वक्ताओं ने कहा कि महामहोपाध्याय डॉ. गंगानाथ झा देश के प्रथम भारतीय प्राचार्य (क्वीन्स कॉलेज, बनारस) तथा प्रथम भारतीय कुलपति (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) के रूप में भारतीय शिक्षा की उस गौरवशाली परंपरा को स्थापित किया, जिसकी चमक आज भी वैसी ही उज्ज्वल है।
उन्होंने न्याय, मीमांसा, वेदान्त और संस्कृत साहित्य की कठिन धारा को सहज भाषा में प्रस्तुत कर भारतीय दर्शन को नई दिशा दी।

संगोष्ठी में यह भी उल्लेख किया गया कि डॉ. शशिनाथ झा ने महामहोपाध्याय जी की तीन महत्वपूर्ण कृतियों— वेदान्त दीपक, न्याय प्रकाश, एवं कवि रहस्य— का संपादन और पुनर्प्रकाशन कर एक ऐतिहासिक शैक्षिक सेवा की है। यह कार्य मिथिला की शैक्षिक विरासत के पुनरुत्थान का महत्वपूर्ण अध्याय माना गया।

वक्ताओं ने बताया कि मिथिला की श्रोत्रिय ब्राह्मण परंपरा सदियों से भारत के ज्ञान-तंत्र की आधारशिला रही है। इसी परंपरा से भारतीय दर्शन, तर्क, न्याय, व्याकरण और संस्कृत साहित्य की महान परंपरा विश्व को मिली है।
महामहोपाध्याय डॉ. झा इसी परंपरा के उज्ज्वल नक्षत्र थे, जिनका जीवन तप, अनुशासन, मर्यादा और ज्ञान-साधना का अद्भुत संगम था।

कार्यक्रम में सम्मानित उपस्थिति रही—
श्री सृष्टि नारायण झा, श्री अमरेन्द्र नाथ झा, श्री अनिल कमल, श्री संजय कुमार झा, श्री वैद्यनाथ झा, श्री डमरुनाथ मिश्र, श्री विनय नाथ मिश्र, श्री विक्की मंडल, श्री विभूति नाथ झा, श्री प्रमोद मंडल, श्री दिनेश कंठ, श्री मालिक झा, श्री कमलेश झा, श्री समीर कुमार झा, श्री रमण मंडल एवं श्री नवीन झा।

सभी विद्वानों ने कहा कि ऐसे आयोजन समाज को अपनी बौद्धिक जड़ों से जोड़ते हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान, तप, अनुशासन और संस्कृति की ओर अग्रसर करते हैं।कार्यक्रम का समापन महामहोपाध्याय डॉ. गंगानाथ झा के प्रति सामूहिक कृतज्ञता और मिथिला की विद्या–परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर पुनः प्रतिष्ठित करने के संकल्प के साथ हुआ।

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