महाराज दरभंगा से मिली प्रेरणा के पथ पर अयाची नगर युवा फाउंडेशन का सेवा-कार्य

- महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह के प्रादुर्भाव दिवस की पूर्व-संध्या पर 50 जरूरतमंद बच्चों के बीच अध्ययन सामग्री का वितरण
अयाची नगर युवा फाउंडेशन के तत्वावधान में बीते गुरुवार को मधुबनी जिले के विभिन्न गाँवों के 50 जरूरतमंद बच्चों के बीच स्कूल बैग एवं अध्ययन सामग्री का वितरण किया गया। इस सेवा कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी मनोज कंठ ने की।
यह सामग्री उन बच्चों के बीच वितरित की गई, जिन्हें पूर्व में संस्था द्वारा चिन्हित किया गया था। इनमें से अधिकांश बच्चे अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं — किसी के पिता नहीं हैं, तो किसी की माता का साया नहीं रहा। ऐसे बच्चों को आवश्यक शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना ही इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था, ताकि उनके सपनों और भविष्य की राह बाधित न हो।
इस वितरण कार्य के लिए बैग यंगिस्तान फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया गया, जिसे अयाची नगर युवा फाउंडेशन के सहयोग से विद्यार्थियों तक पहुँचाया गया।
संस्था के सदस्य धीरज लाभ ने बताया कि अयाची नगर युवा फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण जैसे सामाजिक सरोकार के क्षेत्रों में निरंतर कार्य करता रहा है और आने वाले समय में भी अपनी सहभागिता को और विस्तार देगा। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि संस्था आगामी 28 दिसंबर को अपना 9वाँ स्थापना दिवस मनाने जा रही है, जिसमें देश के लगभग 15 राज्यों से चयनित समाजसेवियों एवं प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा।
संस्था के संस्थापक विक्की मंडल ने कहा कि इस पुनीत कार्य में धीरज लाभ, मनोज कंठ, दीपक झा, अभिषेक ठाकुर, मिथिलेश राय, आदित्य मंडल, रंजय राय, नीरज साहू तथा अर्जुन राय का विशेष सहयोग रहा। साथ ही यंगिस्तान फाउंडेशन के संस्थापक मिथिलेश झा के प्रति आभार व्यक्त किया गया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि —
इस प्रकार का सेवा-कार्य सरल प्रेरणा मात्र नहीं, बल्कि महाराज दरभंगा, महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह जी के जीवन और कृतित्व से मिली प्रेरणा का प्रत्यक्ष परिणाम है। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो महान योगदान दिया, उसी मार्ग पर चलते हुए अयाची नगर युवा फाउंडेशन समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक शिक्षा पहुँचाने का प्रयास कर रहा है।
यद्यपि यह कार्यक्रम महाराजाधिराज के प्रादुर्भाव दिवस की एक दिन पूर्व आयोजित किया गया, परंतु इसका भाव और उद्देश्य उन्हीं को समर्पित रहा। यदि यह कार्यक्रम आज के दिन संपन्न होता, तो यह और भी विशेष होता, किंतु संस्था ने पूर्व-संध्या पर ही इस सेवा कार्य को पूर्ण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मिथिला की धरती पर शिक्षा की जो अलख महाराज दरभंगा ने जगाई थी, उसी परंपरा को जीवित रखने का यह एक छोटा सा प्रयास है।
महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह को कोटि-कोटि नमन।
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