Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

“अनुपलब्ध संबंधों का आलोक”

“अनुपलब्ध संबंधों का आलोक”

पंकज शर्मा
जब अपने ही
धूम्र–अंधकार में खड़े किसी अजनबी स्वप्न-छवि की तरह
मन के द्वार पर ठहर जाते हैं,
तब आत्मा में एक हल्का-सा तुषार-बिंदु टूटकर
दूर तक फैल जाता है—
और हम उस अनाम पीड़ा को
केवल स्पर्श करने का साहस जुटा पाते हैं।


यह वही क्षण है
जब अर्जुन-सा विश्वास
धनुष नहीं, अपने ही हृदय के भार से काँप उठता है—
और हम पूछते हैं:
क्या स्नेह का वृक्ष इतना ही दुर्बल था
कि प्रथम विषाद में ही
उसकी जड़ें सूखने लगीं?


परंतु तभी
अंतर-ज्योति के किसी मौन कोने से
कृष्ण-स्वर की एक कोमल लहर उठती है—
जो कहती है:
“संबंध रक्त की बाढ़ नहीं,
मन की लहरों में उभरती
एक सूक्ष्म, अजर धुन है।”


हम सत्य को नहीं अपनाते,
क्योंकि वह वह दर्पण है
जिसमें हम अपनी ही अश्रु-रेखाएँ साफ देख लेते हैं।
सत्य की दीप्ति
सुख का आलोक नहीं,
अन्तर की रिक्तता का उद्घाटन है—
और इसी कारण उससे बचना आसान लगता है।


वे अपने,
जो अनिवार्य नियति के किसी अज्ञात मोड़ पर
हमसे पृथक दिशा चुन लेते हैं,
विरोध की कठोरता नहीं लाते;
उनकी नयनों में अभी भी
एक अविरत कोमलता की रेखा सोई रहती है—
जिसे केवल धैर्य की आँखें पहचान सकती हैं।


क्योंकि संबंधों की परिभाषा
रक्त की धारा में नहीं,
उस सूक्ष्म कंपन में लिखी होती है
जो दो मौन आत्माओं के बीच
अनाम सेतु बनकर फैल जाता है।
दूरी उस सेतु को धूमिल करती है,
पर तोड़ नहीं पाती।


जीवन धीरे–धीरे यह अभ्यास कराता है
कि मनुष्य बदल सकते हैं,
पर मनुष्यत्व नहीं।
सच्चे लोग प्रतिकूल दिशाएँ चुनते हुए भी
हमारे भीतर की अग्नि को बुझाते नहीं,
वे केवल अपनी आहट
समय के प्रति सौंप देते हैं।


और अंत में हम जान पाते हैं—
दूरी एक ऋतु है,
पर विरोध एक वियोग।
दूरी लौट सकती है;
विरोध नहीं।
इसीलिए सच्चे अपने
हमसे विच्छिन्न दिखते हुए भी
हमारी ही परिधि में
निशब्द दीपक-से जलते रहते हैं।


. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित ✍️ "कमल की कलम से"✍️
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ