"सुख का शाश्वत सूत्र"
पंकज शर्मा
मनुष्य जीवन की सार्थकता वस्तुतः शाश्वत सुख की उपलब्धि में निहित है। इस परम लक्ष्य की ओर अग्रसर होने हेतु आचार्यगण जिस पथ का निर्देश करते हैं, उसका आधार यही सूत्र है: "हृदय में पवित्रता, मानस में स्पष्टता, कर्म में निष्कपटता एवं संतोष की भावना ही सुख की प्राप्ति का सूत्र है।" जब अंतर्मन राग-द्वेष के कलुष से मुक्त होकर पवित्रता धारण करता है, तभी मन में विद्यमान समस्त संशय और भ्रांतियाँ विलीन होती हैं, जिससे मानस में स्पष्टता का उदय होता है। यह स्पष्टता हमें सत्य और असत्य का विवेक प्रदान करती है, जिससे जीवन की दिशा सुनिश्चित होती है।
यह वैचारिक दृढ़ता ही हमारे कर्मों में निष्कपटता (निष्ठा) का संचार करती है। कर्म में निष्ठा हो तो फल की आसक्ति स्वतः क्षीण हो जाती है, और अप्राप्त की अदम्य लालसा का शमन होता है। इसी संतोष की भावना से आत्मा को वह शांति प्राप्त होती है जो भौतिक उपलब्धि से परे है। यह संतोष केवल निष्क्रियता नहीं, अपितु जीवन के प्रत्येक क्षण को स्वीकारने और उसमें निहित सौंदर्य को पहचानने की आध्यात्मिक परिपक्वता है। अतः, यह चतुर्विध सिद्धांत केवल एक उद्धरण नहीं, अपितु जीवन जीने की एक उदात्त संहिता है, जिसके अनुपालन से ही चिरस्थायी आनंद की प्राप्ति संभव है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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