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जन्मकुंडली केवल भविष्य नहीं बताती,

जन्मकुंडली केवल भविष्य नहीं बताती,बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी दिखाती है !

  • महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने ज्योतिष अधिवेशन में प्रस्तुत किया अनोखा शोध

पणजी – जीवन का असली अर्थ क्या है? जीवन की सार्थकता किसमें है? और आध्यात्मिक उन्नति के लिए कौन-सा मार्ग अपनाना चाहिए? ऐसे गहन प्रश्नों के उत्तर व्यक्ति की जन्मकुंडली में निहित होते हैं। ज्योतिष केवल शिक्षा, विवाह या व्यवसाय जैसे व्यावहारिक विषयों तक सीमित न रहकर, यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी स्पष्ट कर सकता है, ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के ज्योतिष विशेषज्ञ श्री राज कर्वे ने किया। वे गोवा में आयोजित ‘जयसिंगराव चव्हाण 11वें अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष अधिवेशन’ में बोल रहे थे।

इस अधिवेशन का उद्घाटन गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के करकमलों से हुआ। ‘जन्मकुंडली – जीवात्मा की यात्रा दर्शाने वाली मार्गदर्शिका!’ इस शोधपत्र के मार्गदर्शक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले हैं, तथा इसे श्री राज कर्वे ने तैयार किया है।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2025 तक की अवधि में कुल 121 वैज्ञानिक परिषदों 20 राष्ट्रीय और 101 अंतरराष्ट्रीय में अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं। इनमें से 14 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में विश्वविद्यालय को ‘सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है।

श्री कर्वे ने बताया कि व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति के लिए ग्रहों के योग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जन्मकुंडली में जब चंद्र, बुध, शुक्र, मंगल और राहु जैसे ग्रहों का आपसी योग बनता है, तब व्यक्ति बाह्य विषयों में आनंद खोजने की प्रवृत्ति रखता है। इसके विपरीत जब इन ग्रहों का योग सूर्य, गुरु, शनि, केतु, हर्षल या नेपच्यून से होता है, तो वह व्यक्ति आंतरिक आनंद, सत्य का ज्ञान और शांति प्राप्त करने के प्रति प्रेरित होता है तथा समाजहित की भावना विकसित करता है।

उन्होंने कहा कि जन्मकुंडली में दिखने वाले ग्रहयोग के अनुसार व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग निश्चित होता है, कोई भक्ति से, कोई ज्ञान से, कोई कर्म से, तो कोई सेवा से अध्यात्म में प्रगति करता है। आध्यात्मिक प्रगति से व्यक्ति में व्यापकता आती है। इसलिए ज्योतिषियों को लोगों की व्यावहारिक समस्याओं के साथ-साथ उनकी आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी मार्गदर्शन करना चाहिए।


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