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*सजनी चली साजन के संग*

सजनी चली साजन के संग

✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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सजनी चली साजन के संग,
महके चारों ओर बहार,
रिश्तों की डोर में बंधा प्यार,
अब शुरू हुआ नया संसार।


हँसी के रंग, उमंग की धार,
सजे सपनों का मधुर आकार,
खुश रहें ये युगल जोड़ी सदा,
रहे प्रेम का आलम हर बार।


फूलों की खुशबू संग चली दुल्हन,
आँखों में सपनों का जाल,
माथे पे बिंदिया, होंठों पे मुस्कान,
हर कदम पे छलके कमाल।


साजन के संग सजे नए सपने,
जीवन बने एक प्यारा गीत,
हर दिन हो जैसे पर्व सुहाना,
हर पल रहे मीठी प्रीत।


संग चले विश्वास की राह,
मुस्कान बने जीवन की चाह,
ईश्वर करें, आशीष बरसाएँ,
ना कोई रहे अकेला, ना बेकरार।
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