कार्तिक पूर्णिमा,अद्भुत अनुपम विशेष
*****************************देव लोक धरा पदार्पण बेला,
रज रज पावनता स्पंदन ।
जनमानस धर्म आस्था सराबोर,
सर्वत्र स्नान स्तुति वंदन ।
रग रग दान पुण्य प्रवाह,
कामना सुख समृद्धि वैभव अशेष ।
कार्तिक पूर्णिमा,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
पाप मोक्ष दुर्लभ अवसर,
शिरोधार्य नदी सरोवर महत्ता ।
स्नेह प्रेम अपनत्व परस्पर,
आभार परम पूर्णिमा सत्ता ।
परिवेश शुभ मंगल मधुर,
नष्ट दुःख कष्ट नैराश्य द्वेष ।
कार्तिक पूर्णिमा,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
अद्य तिथि इतिहास मनोरम,
शिव द्वारा त्रिपुरासुर अंत ।
भू लोक उत्सवमय आयोजन,
संपूर्ण देवलोक आह्लाद अनंत ।
तत्पश्चात पवित्र स्नान संग,
दीप दान परंपरा उन्मेष ।
कार्तिक पूर्णिमा,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
व्रत उपासना सद्य फलदायी,
अखंड सुख समृद्धि भंडार ।
जन्म जन्मांतर पाप मुक्ति,
दान पुण्य महत्ता अपार ।
स्नेह प्रसाद स्कंद_वृंदा,
हरिहर कृपा दृष्टि अधिशेष ।
कार्तिक पूर्णिमा,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
धरा पटल चारु चंद्रिका चंचल,
गंगा तटे दिव्य दीप दान ।
काशी अंतर देव दिवाली ,
अप्रतिम पुष्कर पवित्र स्नान ।
असीम शुभकामनाएं सर्वजन,
खुशहाली निर्झर हर घर द्वार निमेष ।
कार्तिक पूर्णिमा अद्भुत अनुपम विशेष ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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