दो घूॅ़ंट चाय
जरूरी नहीं चाय कप भर पीना ,अगर जिंदगी सुंदर तुझे है जीना ,
दिन भर में कितने कप तू गिना ,
क्या जी नहीं सकता चाय बिना ।
कहते चाय से सर्द में आती गर्मी ,
किंतु गर्मी में नहीं लाता ये नरमी ,
गैस फैलाता यह तन में ही तेरे ,
चाय नहीं बन पाता यह धरमी ।
एक कप चाय की बनी है आदत ,
चाय पीना है जीवन का शहादत ,
चाय का बोझ जीवन में लादत ,
क्या दो घूॅ़ंट चाय न देता राहत ।
जीवन में छाए रहे सदा ये मुस्की ,
दो घूॅ़ंट चाय का लेते रहो चुस्की ,
मिटे न चाय से गले का खुस्की ,
आदत है बुरी चाहे हो जिसकी ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag


0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com