जय राम लखन माॅं जानकी ।
जय गौरीशंकर हनुमान की ।।जय श्रीहरि करुणानिधान की ।
जय लक्ष्मी गणेश महान की ।।
जय माॅं दुर्गा परित्राण की ।
जय माॅं शारदा परिधान की ।।
वृद्धि करें यश कीर्ति ज्ञान की ।
शुभता हो सबके जुबान की ।।
जय रामदूत हनुमत गुणगान की।
रक्षा करो जीव जंतु जहान की ।।
जय अंजनि पवनसुत हनुमान की ।
जय यश कीर्ति कृति महान की।।
जय रूद्र रूप दयानिधान की ।
कृपा सिंधु रामभक्त बलवान की ।।
जय मातृपितृ धरणी धाम की ।
जय देवलोक सुखधाम की ।।
रोग दोष क्लेश द्वेष अस्त करो ।
तन और मन सुखी स्वस्थ करो ।।
मेरे हाथों शुभ आय का अर्जन हो ।
स्वस्थ आयु गणेश लक्ष्मी गर्जन हो ।।
ब्रह्मा विष्णु शिव भी मेरे साथ रहें ।
माॅं पार्वती सरस्वती मेरे हाथ रहें ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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