पटना में भारत@2047 सम्मेलन की तैयारियाँ – 30 नवम्बर को दिल्ली में होंगे देश के 50 महारथी सम्मानित

पटना, बिहार। राजधानी स्थित राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय आरम्भ एवं उद्यमी संघ (आईबीएसईए) की ओर से “भारत के महारथी 4.0” और भारत@2047 सम्मेलन के लिए भव्य तैयारी बैठक तथा प्रेस संवाद आयोजित किया गया। इस आयोजन की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर मनोज कुमार ने की तथा आईबीएसईए धरोहर एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. राघव नाथ झा के नेतृत्व में कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
बैठक में 30 नवम्बर 2025 को दिल्ली में होने वाले भारत के महारथी सम्मान 4.0 कार्यक्रम की रूपरेखा, उद्देश्य, चयन मानक आदि पर विस्तार से चर्चा हुई। इस राष्ट्रीय मंच पर देशभर के 25 विश्वविद्यालयों के अनुभवी वक्ता, शिक्षाविद, उद्यमी एवं शोधकर्ताओं की भागीदारी रहेगी। राजधानी में लगभग 700 प्रतिभागी सम्मिलित होंगे। कार्यक्रम में शोध, नवाचार, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, तथा शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, समाज सेवा, व्यापार आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले दिग्गजों को सम्मानित किया जाएगा।
प्राचार्य प्रोफेसर मनोज कुमार ने कहा कि इस आयोजन से भारत के 2047 के लिए ज्ञान, नीतिशास्त्र, सांस्कृतिक पुनर्जागरण एवं राष्ट्रगौरव को दिशा मिलेगी। डॉ. ज्योत्स्ना ने भारतीय शिक्षा परंपरा की प्रतिष्ठा को रेखांकित करते हुए युवाओं को शोध एवं नवाचार आधारित शिक्षा के लिए प्रेरित किया। राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञों ने बदलते राजनीतिक परिदृश्य और भविष्य की नीतियों पर विचार रखे।
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य, ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान, पटना के निदेशक डॉ. राजनाथ झा ने ज्योतिष विज्ञान की प्रासंगिकता, मार्गदर्शन तथा सामाजिक सहभागिता पर विशेष टिप्पणी की। आईबीएसईए के मोहम्मद शहज़ाद ने बिहार की युवा शक्ति और उद्यमिता के नए अवसरों पर विचार प्रस्तुत किए। राहुल झा ने कार्यक्रम में चुने जाने वाले पचास विशिष्ट व्यक्तियों के चयन मानक को विस्तार से बताया।
धर्मशास्त्र विभाग के विद्वान प्राध्यापक श्री शशिकांत तिवारी ‘शशिधर’ ने विकसित भारत के लिए सांस्कृतिक चेतना, ज्ञान-संपदा, नीति-चेतना और सामूहिक उत्तरदायित्व के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा— “भारत तभी पूर्ण विकसित बनेगा जब पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का समन्वय हो।”
डॉ. विवेकानंद पासवान ने शिक्षा, प्रौद्योगिकी, युवाशक्ति और सामाजिक न्याय के संयुक्त ढांचे को भारत के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला बताया। बैठक में वक्ताओं ने उच्च शिक्षा, शोध कार्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सामाजिक संवेदनशील अनुसंधान तथा प्राचीन विद्यान परंपराओं की पुनरावलोकन एवं व्याख्या की आवश्यकता पर बल दिया। विद्यार्थियों को केवल पुस्तक-आधारित ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक एवं समस्यामूलक शोध से भी जोड़ने की सलाह दी गई।
इस प्रेस संवाद में महाविद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी, उद्यमी तथा विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। बिहार के उद्यमी राजेश कुमार ने रोजगार और उद्यमशीलता के नए आयामों पर अपने विचार रखे। आईबीएसईए ने सभी शिक्षकों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों, विद्यार्थियों और मीडिया प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे इस मंच पर सहभागिता दें और 30 नवम्बर को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मान समारोह को सफल बनाएं।
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