रीवा में अखिल भारतीय साहित्य परिषद का 17वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया उद्घाटन
विशेष संबाददाता
रीवा (मध्यप्रदेश)। साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना के संरक्षण-संवर्धन के संकल्प के साथ अखिल भारतीय साहित्य परिषद का तीन दिवसीय 17वाँ अखिल भारतीय अधिवेशन 7, 8 और 9 नवंबर 2025 को रीवा स्थित कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में भव्यता के साथ संपन्न हुआ। देशभर के 1000 से अधिक साहित्यकार, कवि, लेखक और चिंतकों की उपस्थिति ने इस अधिवेशन को एक महत्वपूर्ण साहित्यिक महाकुंभ का रूप दिया। इस आयोजन की थीम 'आत्मबोध से विश्वबोध' रही।: पूर्व राष्ट्रपति ने साहित्यकारों को किया प्रेरित 7 नवंबर 2025 को अधिवेशन का उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने साहित्यकारों को राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक विरासत को अपनी लेखनी के माध्यम से संरक्षण एवं संवर्धन प्रदान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा 'वसुधैव कुटुम्बकम्' (समस्त संसार एक परिवार है) की भावना से भरी हुई है और साहित्य ही इस भावना को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है। उन्होंने विंध्य क्षेत्र को साहित्य और संगीत के साधकों की भूमि बताते हुए यहां के सपूतों को याद किया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शुशील चंद्र द्विवेदी 'मधुपेश' ने की। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इस त्रिवार्षिक अधिवेशन में देश के विभिन्न राज्यों जैसे बिहार, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, दिल्ली, झारखण्ड, उड़ीसा, पंजाब आदि से आए 1200 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। इनमें 20 से अधिक पद्म पुरस्कारों से सम्मानित विभूतियां भी शामिल थीं। बिहार से साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक , कवयित्री डॉ उषाकिरण श्रीवास्तव , निर्माण भारती हिंदी पाक्षिक के संपादक जी एन भट्ट , डॉ संगीता सागर हरियाणा से कवि त्रिलोक चंद फतेहपुरी आदि राज्यों के साहित्यकार शामिल हुए ।
तीन दिवसीय इस अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें निर्धारित विषयों पर गहन विचार-विमर्श और संवाद हुआ। शोभा यात्रा: 7 नवंबर को ऑडिटोरियम से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सहभागिता की। : 'कुटुंब और नागरिक कर्तव्य', 'भारतीय ज्ञान परंपरा', और 'वैश्विक संकट' जैसे विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान हुए। सर्वभाषा कवि सम्मेलन: 8 नवंबर को सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश की विभिन्न भाषाओं के कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। अधिवेशन में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें ओटीटी प्लेटफॉर् की सामग्री के नियमन, परीक्षण और वर्गीकरण हेतु एक सशक्त नियामक संस्था के गठन की माँग की गई, ताकि भारतीय संस्कृति और सामाजिक मर्यादा को आहत करने वाली सामग्री पर रोक लगाई जा सके।9 नवंबर को समापन सत्र में साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र त्रिवेदी 'मधुपेश' को आगामी तीन वर्षों के लिए पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और युवा भारतीयों के विकास के लिए कार्य करने का संकल्प लिया। अधिवेशन में विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र शुक्ल उप मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश , साहित्यकार विश्वास महीपति पाटिल डॉ बी एन त्रिपाठी सीएमडी , पेंटियम पॉइंट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन , डॉ ऋषि कुमार मिश्र , राष्ट्रीय महामंत्री , अभासप , श्रीधर पराडकर राष्ट्रीय संगठन मंत्री , श्री मनोज जी ,पावन पुत्र बादल राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री अभसप ने विचार व्यक्त किए । पुस्तक पुण्य क्षेत्रे रेवाखण्डे , साहित्य परिक्रमा ( त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण किया गया ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com