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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD): किसानों और नागरिकों का सशक्त साथी

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD): किसानों और नागरिकों का सशक्त साथी

- अवधेश झा

पटना, 13 अक्टूबर 2025 :: भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। देश की आधी से अधिक आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करती है। परंतु कृषि पूर्णतः मौसम और जलवायु की अनिश्चितताओं पर आधारित है। समय पर वर्षा, उचित तापमान और नियंत्रित प्राकृतिक परिस्थितियाँ ही अच्छी फसल की गारंटी देती हैं। ऐसे में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) किसानों और सरकार—दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो रहा है। इसकी सटीक भविष्यवाणियाँ और समय पर जारी चेतावनियाँ कृषि उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

IMD, बिहार (पटना) के साइंटिस्ट-डी आशीष कुमार के अनुसार —


“पूर्वानुमान (Forecasting) का महत्व आज हर क्षेत्र में बढ़ गया है। एक्यूरेसी और अर्ली वार्निंग सिस्टम के माध्यम से आम जनता से लेकर सरकार तक को समय रहते सतर्क करना आवश्यक है — चाहे वह हीटवेव हो, बाढ़ हो या कोई अन्य आपदा या बीमारी से जुड़ी चेतावनी।”

किसानों के लिए IMD की उपयोगिता


किसानों के लिए मौसम की जानकारी केवल समाचार नहीं, बल्कि आजीविका का आधार है। IMD प्रतिदिन, साप्ताहिक और मौसमी पूर्वानुमान प्रदान करता है, जिससे कृषि संबंधी निर्णय लेना सरल और वैज्ञानिक बन गया है।


फसल योजना और बोआई:
मानसून की भविष्यवाणी के आधार पर किसान यह तय कर सकते हैं कि कौन-सी फसल बोनी है और कितनी मात्रा में। यदि कम वर्षा की संभावना हो तो वे अल्पावधि या सूखा-रोधी किस्में चुन सकते हैं।


सिंचाई और खाद प्रबंधन:
वर्षा के पूर्वानुमान से किसान सिंचाई का उचित समय निर्धारित कर पाते हैं। इससे जल की बचत होती है और उर्वरकों का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।


आपदा से सुरक्षा:
IMD के मोबाइल ऐप जैसे ‘मेघदूत’, ‘मौसम’ और ‘दामिनी’ किसानों को बिजली गिरने, चक्रवात, भारी वर्षा या ओलावृष्टि जैसी घटनाओं की समयपूर्व चेतावनी देते हैं। इससे वे फसल, पशुधन और अपने जीवन की सुरक्षा कर सकते हैं।

आय में स्थिरता:
समय पर चेतावनी और निर्णय से फसल हानि घटती है, जिससे किसानों की आय स्थिर होती है और उन्हें कर्ज या राहत पैकेजों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

सरकार के लिए IMD की उपयोगिता

सरकार के लिए मौसम और जलवायु से जुड़ी जानकारी नीति निर्माण और योजना निर्धारण में अत्यंत सहायक होती है।

आपदा प्रबंधन:
बिहार, असम और ओडिशा में बाढ़, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखा सामान्य समस्या है। IMD की समय पर दी गई चेतावनियों से सरकार राहत सामग्री की आपूर्ति, निकासी योजना और पुनर्वास कार्य समय पर कर पाती है।


कृषि नीतियाँ और योजनाएँ:
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) जैसी योजनाएँ फसल हानि के आकलन में IMD के आँकड़ों पर आधारित हैं। इसी प्रकार सिंचाई, बीज वितरण और उर्वरक सब्सिडी से जुड़ी नीतियाँ भी मौसम पूर्वानुमान से प्रभावित होती हैं।


खाद्य सुरक्षा:
दीर्घावधि मानसून पूर्वानुमान के आधार पर सरकार खाद्यान्न भंडारण और वितरण की योजना बनाती है, जिससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।


जलवायु अनुकूलन:
बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों—जैसे लू, अनियमित वर्षा और तूफ़ानों—से निपटने के लिए IMD सरकार को दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने में सहयोग देता है।




भारत मौसम विज्ञान विभाग: कृषि और ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग


IMD अब केवल मौसम बताने वाला संस्थान नहीं, बल्कि कृषि और ग्रामीण विकास का सशक्त सहयोगी बन चुका है। यह किसानों को सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है और सरकार को आपदा प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा एवं नीति-निर्माण में मार्गदर्शन देता है।
एक ऐसे देश में जहाँ कृषि जीवन का मुख्य आधार है, वहाँ IMD की भूमिका सीधे उत्पादकता, ग्रामीण समृद्धि और आर्थिक स्थिरता से जुड़ी है। यह किसानों और सरकार दोनों को सशक्त बनाकर भारत की कृषि को जलवायु परिवर्तन के दौर में अधिक सुदृढ़ बना रहा है।




शहरी बिहार के लिए IMD की उपयोगिता


ग्रामीण क्षेत्रों की तरह ही शहरी बिहार में भी IMD की भूमिका नागरिक सुरक्षा और योजनागत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।


शहरी बाढ़ से सुरक्षा:
पटना, दरभंगा और भागलपुर जैसे शहर हर मानसून में जलजमाव और शहरी बाढ़ की समस्या झेलते हैं। IMD की भारी वर्षा चेतावनी नगर निगम और आपदा प्रबंधन विभाग को पहले से तैयारी करने का अवसर देती है — जैसे नालों की सफाई, पंपिंग सेट की व्यवस्था आदि। नागरिक भी समय रहते सतर्क हो पाते हैं।


हीटवेव और स्वास्थ्य सुरक्षा:
हाल के वर्षों में पटना और गया में लू (Heatwave) गंभीर समस्या बन चुकी है। IMD की चेतावनी से स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों को तैयार रखता है और नागरिक हीट एक्शन प्लान के तहत सावधानी बरत सकते हैं। यही उपयोगिता ठंड की लहर (Cold wave) के दौरान भी रहती है।


वायु गुणवत्ता और प्रदूषण नियंत्रण:
पटना और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। IMD की एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग प्रणाली प्रदूषण स्तर की सटीक जानकारी देती है, जिससे सरकार ट्रैफिक और औद्योगिक नियंत्रण लागू कर सकती है तथा नागरिकों को स्वास्थ्य परामर्श मिल पाता है।


शहरी योजना और अवसंरचना:
नई सड़कों, पुलों और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए मौसम एवं वर्षा के आँकड़े अत्यंत आवश्यक हैं। IMD का डेटा शहरी विकास विभागों और नगर योजनाकारों को टिकाऊ निर्माण तथा जल प्रबंधन की दिशा में सहायता प्रदान करता है।


ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र:
शहरों में बिजली की खपत मौसम पर निर्भर करती है — गर्मी में कूलर/एसी और सर्दी में हीटर का उपयोग बढ़ता है। IMD की भविष्यवाणी से बिजली कंपनियाँ लोड मैनेजमेंट कर सकती हैं। हवाई अड्डे, रेलवे और सड़क परिवहन विभाग भी मौसम चेतावनी से सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करते हैं।


सामान्य नागरिक जीवन:
‘मौसम’, ‘दामिनी’ और ‘मेघदूत’ जैसे मोबाइल ऐप नागरिकों को सीधे और समय पर जानकारी उपलब्ध कराते हैं। इससे लोग यात्रा, कामकाज, पढ़ाई और दैनिक जीवन की बेहतर योजना बना पाते हैं।


जहाँ ग्रामीण बिहार में खेती और फसल की सफलता मौसम विभाग पर निर्भर है, वहीं शहरी बिहार के लिए IMD जीवन सुरक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, ऊर्जा और अवसंरचना विकास का आधार बन चुका है। जलवायु परिवर्तन और तीव्र शहरीकरण के इस दौर में भारत मौसम विज्ञान विभाग नागरिकों के लिए सुरक्षा कवच और सरकार के लिए योजना का मार्गदर्शक बनकर उभरा है।यह न केवल मौसम बताता है, बल्कि भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास का दिशानिर्देशक बन चुका है।
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