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सूर्य की उपासना: भारत और विश्व का सौर धर्म

सूर्य की उपासना: भारत और विश्व का सौर धर्म

सत्येन्द्र कुमार पाठक
सौर ससदियों से, सूर्य जीवन, ऊर्जा और समय का शाश्वत स्रोत रहा है। सभ्यता के आरंभ से ही, मानव ने सनातन धर्म का सौर सम्प्रदाय का सु शक्ति को पूजा है, जिसके प्रमाण हमें दुनिया भर के प्राचीन सूर्य मंदिरों के रूप में मिलते हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि मानव सभ्यता, वास्तुकला, और खगोल विज्ञान के अद्भुत संगम को भी दर्शाते हैं। जब से मनुष्य ने कृषि और सभ्यता का आरंभ किया, उसे अपने जीवनयापन, भोजन, स्वास्थ्य, और रहन-सहन में सूर्य के महत्व का गहरा अहसास हुआ। मानव सभ्यता का इतिहास साक्षी है कि विश्व का कोई कोना नहीं, जहाँ सूर्य को पूजा न गया हो। यह सूर्य ही है जो ऋतुओं को नियंत्रित करता है, फसल को पोषण देता है, और अंधकार को मिटाता है।।वैश्विक सभ्यताओं में सूर्य देवता है। अलग-अलग सभ्यताओं ने सूर्य को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा, पर सबका सार एक ही था—परम शक्ति की पूजा: भारत (वैदिक): सूर्य, सविता, भास्कर, आदित्य , मिस्र: रा (Ra) और होरुस (Horus) (रा को मिस्र का प्रथम राजा भी माना जाता था)।,मेसोपोटामिया: शमाव (Shamash) ,यूनान (ग्रीस): अपोलो और हेलियोस (Helios) ,रोम (लैटिन): सो (Sol) है। ऋग्वेद की ऋचाओं में सूर्य के विषय में जो कुछ दर्ज है, वह दूसरी सभ्यताओं की सूर्य पूजा की अवधारणा से मेल खाता है, जो यह दर्शाता है कि सूर्य पूजा का सामान्य स्रोत बहुत प्राचीन और व्यापक रहा है। भारत, जिसे वेदों और उपनिषदों की भूमि माना जाता है, में सूर्य पूजा की परंपरा अत्यंत समृद्ध है। यहाँ के सूर्य मंदिर न केवल स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं, बल्कि खगोल विज्ञान और ज्योतिषीय ज्ञान को भी दर्शाते हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ), कोणार्क शहर, पुरी के पास, ओडिशा में : 13वीं शताब्दी (1250 ई.) में पूर्वी गंगा राजवंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वाराकिया गया है। वास्तुकला और महत्व:में यह मंदिर कलिंग वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे सूर्य देव के विशाल रथ के रूप में कल्पना की गई है।रथ संरचना: इसमें 12 जोड़ी अलंकृत पहिए हैं, जो वर्ष के 12 महीनों या दिन के 24 प्रहरों को दर्शाते हैं। इसे खींचते हुए 7 घोड़े हैं, जो सप्ताह के 7 दिनों का प्रतीक हैं।धूपघड़ी पहिए: मंदिर के चार पहिए धूपघड़ी की तरह काम करते हैं और सटीक समय बताते हैं, जो प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान की महत्ता को दर्शाता है। ब्लैक पगोडा: समुद्र तट के पास स्थित होने और समय के साथ इसकी गहरी रंगत के कारण इसे यूरोपीय नाविकों द्वारा "ब्लैक पगोडा" भी कहा जाता था, जो उन्हें मार्गदर्शन देता था।रवींद्रनाथ टैगोर का उद्धरण: उन्होंने इस मंदिर के बारे में कहा था कि "यह ऐसी जगह है जहाँ पत्थर की भाषा के सामने इंसान की भाषा बहुत छोटी लगने लगती है।" कोणार्क सूर्य मंदिर का दर्जा: 1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात मोढेरा गाँव, गुजरातका : 1026-27 ई. में चालुक्य वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा।: यह मंदिर अपनी तीन मुख्य विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है: गर्भगृह में मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित थी। उत्कृष्ट नक्काशीदार स्तंभों से युक्त एक विशाल मंडप । सूर्य कुंड (रामकुंड): मंदिर के सामने स्थित एक विशाल जलकुंड, जिसमें 108 छोटे मंदिर बने हुए हैं। मंदिर की नक्काशी और सूर्य की पहली किरणें गर्भगृह पर पड़ने की इसकी वास्तुकला अद्भुत है। मार्तंड सूर्य मंदिर, कश्मीर अनंतनाग, कश्मीर का 8वीं शताब्दी ई. में कार्कोटा राजवंश के राजा ललितादित्य मुक्तपीड द्वारा सूर्य मंदिर भारतीय और यूनानी-रोमन शैलियों का मिश्रण दर्शाता है। इसे क्षेत्र के सबसे शानदार वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक माना जाता था, जिसे बाद में इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। इसके अवशेष आज भी इसकी भव्यता की कहानी कहते हैं।देव सूर्य मंदिर, उमगा सूर्यमंदिर बिहार औरंगाबाद, बिहार।यह मंदिर अपनी प्राचीनता और कार्तिक और चैत्र सुदी छठ पूजा के दौरान उमड़ने वाली भारी भीड़ के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर स्थानीय आस्था का एक बड़ा केंद्र है। देवकली देवलास (बालार्क सूर्य मंदिर) का प्राचीन संदर्भ कोट देवलास। इएहस एवं स्मृति के कारण के अनुसार, यह एक प्राचीन बालार्क सूर्य मंदिर है, जिसे राजा दशरथ ने बनवाया था। माना जाता है कि भगवान राम अपने वन गमन के दौरान पहले दिन यहीं रुके थे और सूर्य की उपासना की थी। इसे भगवान राम के लिए अयोध्या का पूर्वी द्वार माना जाता है। भारत में सूर्य पूजा की व्यापकता के कारण कई अन्य महत्वपूर्ण मंदिर हैं, जिनमें शामिल हैं: कटारमल सूर्य मंदिर: उत्तराखंड ,रणकपुर सूर्य मंदिर: राजस्थान ,सूर्य पहर मंदिर: असम ,दक्षिणार्क सूर्य मंदिर: बिहार (गया) ,पटना जिले के दुलहिन बाजार प्रखण्ड के उलार में उलार्क सूर्य मंदिर: पंडारक का पुण्यार्क सूर्यमंदिर , नालंदा का अँगयार्क , भोजपुर का बलिगांव का बाल्यार्क़ सूर्यमंदिर , जहानाबाद का बराबर में सूर्यान्क , मुजफ्फरपुर , भागलपुर , रोहतास , अरवल , सीतामढ़ी , दरभंगा , बक्सर आदि जिले बिहार है । विश्व के सूर्य मंदिर: आस्था की सार्वभौमिकता - सूर्य पूजा केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह विश्व की कई महान सभ्यताओं के धार्मिक और राजनीतिक जीवन का केंद्र थी। मिश्र का अबू सिंबेल में रामसेस का महान सूर्य मंदिर, मिस्र का निर्माण 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व में फिरौन रामसेस द्वितीय द्वारा किया गया था । आबू सूर्य मंदिर फिरौन रामसेस द्वितीय और देवताओं को समर्पित है, जिनमें प्रमुख सूर्य देवता 'रा' हैं। इसकी सबसे आश्चर्यजनक विशेषता यह है कि वर्ष में दो बार (22 फरवरी और 22 अक्टूबर) सूर्य की किरणें मंदिर के अंदरूनी गर्भगृह में प्रवेश करती हैं और वहाँ स्थापित रामसेस द्वितीय, रा, और अन्य देवताओं की मूर्तियों को रोशन करती हैं।।चीन का बीजिंग सूर्य मंदिर का निर्माण 1500 ई. में मियांग राजवंश के जियाजिंग सम्राट द्वारा। बंजिग सूर्य मंदिर का प्रयोग इंपीरियल अदालत द्वारा पूजा, प्रार्थना और बलि के विस्तृत कृत्यों के लिए किया जाता था। इस मंदिर की खास बात यहाँ लाल रंग का प्रयोग है, जो सूर्य के साथ जोड़कर देखा जाता है (लाल बर्तन, रेड वाइन, सम्राट के लिए लाल कपड़े)। आज यह मंदिर एक सार्वजनिक पार्क का हिस्सा है। गीज़ा के पिरामिड के पास मेक्सिको का सूर्य मंदिर प्लांक, मेक्सिको में 9 वीं शताब्दी ई. में निर्मित मेसोअमेरिकन सभ्यताओं, विशेष रूप से एज़्टेक और माया में सूर्य पूजा का गहरा महत्व था। मेक्सिको में सूर्य के पिरामिड बड़े संरचनात्मक स्मारक सूर्य के प्रति उनके सम्मान को दर्शाते हैं। टेम्पल ऑफ नाइट सन ग्वाटेमाला में 5वीं शताब्दी ई. (माया शासनकाल)।माया सभ्यता का अवशेष है, जो दर्शाता है कि माया कैलेंडर और खगोल विज्ञान में सूर्य कितना केंद्रीय था।।शिंटो श्राइन टेम्पल, जापान का 710 ई.में जापान की शिंटो परंपरा में सूर्य देवी अमातेरासु की पूजा की जाती है, जिन्हें शाही परिवार की पूर्वज माना जाता है। इज़े ग्रैंड श्राइन (Ise Grand Shrine) जैसे मंदिर अमातेरासु को समर्पित हैं। कोलोराडो नेशनल पार्क के अंदर स्थित सूर्य मंदिर, अमेरिका का कोलोराडो नेशनल पार्क, अमेरिका में 1275 ई. में सूर्य मंदिर प्राचीन प्यूब्लो लोगों द्वारा बनाया गया था। यह उनकी खगोलीय और मौसमी गणनाओं में सूर्य के महत्व को दर्शाता है।. मुल्तान सूर्य मंदिर, पाकिस्तान (पूर्ववर्ती मुल्तान का प्राचीन भारत के सबसे प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक था, जिसकी समृद्धि और भव्यता दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी। इसे 10वीं शताब्दी में इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। पत्थर की भाषा में शाश्वत आस्था का सूर्य मंदिर केवल पत्थर की संरचनाएं नहीं हैं; वे मानव सभ्यता के उस कालखंड के दस्तावेज हैं जब मनुष्य ने प्रकृति की शक्ति को नमन किया। कोणार्क का विशाल रथ हो, मिस्र का सटीक खगोलीय संरेखण, या मेक्सिको का पिरामिड—ये सभी हमें याद दिलाते हैं कि सूर्य की उपासना एक सार्वभौमिक और शाश्वत आस्था रही है। ये प्राचीन स्मारक हमें हमारी साझा विरासत से जोड़ते हैं, जहाँ विज्ञान, कला और धर्म एक ही रथ पर सवार होकर जीवन के सार को पूजते थे। आज, ये मंदिर पर्यटन स्थल से कहीं अधिक हैं; वे हमें अपने अस्तित्व के स्रोत, सूर्य के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का पाठ पढ़ाते हैं।
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