जीवन में मधुर सुवास
रचना:- --- डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"रजत चांदनी बिखरे नभ में,
अमृत वर्षा लाए,
शरद पूर्णिमा की रात,
प्रेम की गाथा गाए।
शीतल पवन का संग लिए,
चंद्र किरण जब अंग छुए,
मन के भीतर मधुर सुवास,
जैसे कोई गीत पुराने गाए।
खीर रखी हो आँगन में,
चाँदनी उसे अमृत बनाए,
प्रेम-विरह की इस बेला में,
राधा का मोहन पास आए।
सांसों में घुलती चाँदनी,
खोलती मन का द्वार,
शरद की ये सुंदर रजनी,
अंतस में भरती प्यार।
सभी के मन को छू जाए,
हर दिल में हो प्रेम का वास,
शरद पूर्णिमा का यह बेला,
जीवन में लाए मधुर सुवास।
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