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जीबीएम कॉलेज में "मध्यस्थ दर्शन पर आधारित जीवन विद्या" पर दो-दिवसीय कार्यशाला का समापन।

जीबीएम कॉलेज में "मध्यस्थ दर्शन पर आधारित जीवन विद्या" पर दो-दिवसीय कार्यशाला का समापन।

  • कार्यशाला का उद्देश्य छात्राओं को मूल्य वर्द्धित पाठ्यक्रम से परिचित करवाना था: प्रधानाचार्या
  • सह-अस्तित्ववाद के सिद्धांतों पर आधारित है मध्यस्थ दर्शन

गया जी। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल के संरक्षण में आईक्यूएसी एवं दर्शनशास्त्र विभाग के संयुक्त संयोजन में मूल्य वर्द्धित पाठ्यक्रम के तहत "मध्यस्थ दर्शन पर आधारित जीवन विद्या" पर दो-दिवसीय कार्यशाला सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। समापन सत्र में जीवन विद्या प्रबोधक आचार्य नवीन कुमार ने छात्राओं को मध्यस्थ दर्शन से परिचित करवाया। मानवीय संबंधों के मध्य पारस्परिक सम्मान का भाव रखे जाने की बात कही। परिवार के सदस्यों के मध्य प्रेम, करुणा, समर्पण तथा अपनत्व भावों की उपस्थिति को अनिवार्य बतलाया। मानव मस्तिष्क की अद्भुत क्षमताओं पर सविस्तार प्रकाश डालते हुए आचार्य नवीन ने मोबाइल के लाभ एवं नुकसानों पर चर्चा की। प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल के अनुसार, कार्यशाला का उद्देश्य छात्राओं को मूल्य वर्द्धित पाठ्यक्रम से परिचित करवाना था। उनमें मानवीय मूल्यों एवं जीवन कौशलों का संवर्द्धन करना था।

कॉलेज की पीआरओ एवं अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि मध्यस्थ दर्शन हमें सह-अस्तित्ववाद के सिद्धांतों से परिचित करवाता है। यह एक अस्तित्व-आधारित मानव-केंद्रित चिंतन है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति को मानवता और ज्ञान से युक्त कर जागृत करना है, जिससे सह-अस्तित्व में रहा जा सके। कॉलेज की छात्राओं ने कार्यशाला का ध्यानपूर्वक लाभ उठाया। आचार्य नवीन द्वारा सभ्य समाज के लिए नैतिक मूल्यों की आवश्यकता पर दिये गये वक्तव्यों को ध्यानपूर्वक सुना तथा समझा। कार्यशाला में छात्राओं को भावनात्मक आवेगों के दरम्यान स्वयं को संतुलित रखने की विभिन्न युक्तियाँ बतायी गयीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ जया चौधरी ने की। उन्होंने छात्राओं को जीवन के मूलभूत प्रश्नों पर विचार करके तार्किक विश्लेषण तथा आलोचनात्मक चिंतन द्वारा मौलिक सत्य को खोजते रहने की सलाह दी। वहीं, डॉ रश्मि ने छात्राओं को हिन्दी, अंग्रेजी, एवं अन्य भाषा साहित्यों में निहित मानवतावादी प्रसंगों, तथ्यों, समीक्षाओं एवं विश्लेषणों का लाभ उठाने के लिए अध्ययनशील बनने की सलाह दी। उन्होंने साहित्य को मानवीय भावनाओं, अनुभवों और विचारों को लिखित अथवा मौखिक रूपों में कलात्मक रूप से व्यक्त करने का माध्यम बतलाया। छात्राओं को संदेशपरक कविताएँ, कहानियाँ, नाटक तथा आलेख आदि पढ़ते रहने का परामर्श दिया।

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