जब जब जपूं राधा,दूर हो जाती हर बाधा
कुमार महेन्द्रमुखारबिंद पर राधे राधे,
जब-भी हुआ उच्चारित ।
कृष्णमय सारा परिवेश,
अंतर्मन मंगला धारित ।
दिव्य भव्य दर्शन संग,
दुःख कष्ट नैराश्य आधा।
जब जब जपूं राधा,दूर हो जाती हर बाधा ।।
स्नेह प्रेम करुणा सागर,
अनंत स्नेह कृपा वृष्टि ।
राधा रानी सौंदर्य अनन्य,
अथाह अपनत्व भरी दृष्टि ।
रासेश्वरी उपासना अद्भुत,
सदा शीर्ष साधक माथा ।
जब जब जपूं राधा,दूर हो जाती हर बाधा ।।
लाड़ली छवि अति मनोरम,
सदा मंत्रमुग्ध बांसुरी सुन ।
उर वसित केशव अच्युत,
चित शोभा कन्हाई धुन ।
जीवन पथ आनंद पर्याय,
सदैव कृपालु माधवी गाथा ।
जब जब जपूं राधा,दूर हो जाती हर बाधा।
नित अनंत खुशियां निर्झर,
श्री जी मृदु उच्चारण संग ।
मधुर सरस भाव तरंगिनी,
सुख समृद्धि धरा उत्संग ।
घट शोभित अनुराग प्रसून,
सहज धर्म कर्म लक्ष्य साधा ।
जब जब जपूं राधा,दूर हो जाती हर बाधा ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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