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है सूना सूना वृंदावन, पधारो मेरी राधा जी !

है सूना सूना वृंदावन, पधारो मेरी राधा जी !

  • काव्य में सौंदर्य-शास्त्र के आचार्य डा कुमार विमल की जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन
पटना, १२ अक्टूबर। हिन्दी के आलोचना-साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखने वाले विद्वान डा कुमार विमल काव्य में सौंदर्य-शास्त्र के महान आचार्य थे। उनका संपूर्ण जीवन, साहित्य और पुस्तकों की परिधि में ही रहा। वे प्रायः ही पुस्तकों से घिरे और लिखते-पढ़ते ही देखे जाते थे। सौंदर्य-शास्त्र पर लिखा उनका शोध-ग्रंथ अद्वितीय है।
यह बातें रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में डा विमल की जयंती पर आयोजित कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, समालोचना-साहित्य में आचार्य नलिन विलोचन शर्मा के बाद डा कुमार विमल का नाम ही सर्वाधिक आदर से लिया जाता है। सौंदर्य-शास्त्र पर उन्होंने दो ग्रंथ लिखे, जिनके अध्ययन से यह समझा जा सकता है कि काव्य ही नहीं कथा-कहानी, उपन्यास अथवा निबन्धों में भी सौंदर्य किस प्रकार अनुभूत किया जा सकता है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि हिन्दी के जिन प्राध्यापकों को मैं जानता था, उनमे डा कुमार विमल जैसा अध्येता मैंने किसी को नहीं पाया। उनका घर पुस्तकों और पत्रिकाओं से भरा रहता था। वे जितने सुंदर थे उतने ही विनम्र भी थे। बहुत धीमी आवाज़ में किंतु सुंदर और प्रभावशाली व्याख्यान देते थे। सम्मेलन की प्रचार मंत्री विभा रानी श्रीवास्तव और डा रत्नेश्वर सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन भी, ऋंगार और सौंदर्य-बोध की रस-गंगा में श्रोताओं को डुबोता रहा। चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से आरम्भ हुई इस काव्य-गंगा में, वरिष्ठ शायर आरपी घायल ने अपनी शायरी की यमुना का संगम करते हुए कहा कि - “उसका लिया जो नाम तो ख़ुशबू बिखर गयी/ तितली मेरे क़रीब से होकर गुजर गयी"। शायर डा नसरुल्लाह निस्तवी का कहना था कि- “नसर उसकी साज़िश भी नाकाम होगी/ जो नफ़रत जमाने में फैला रहा है।"

काव्य की रस-गंगा में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने भी अपने पीयूष-रस समर्पित किए। अपने गीत का सस्वर पाठ करते हुए उन्होंने राधा जी का स्मरण किया और कहा- “हृदय को कर लिया पावन पधारो मेरी राधा जी! मेरा तन-मन हुआ सावन, पधारो मेरी राधा जी/ विरह व्याकुल हैं यमुना जी, गोवर्द्धन हो गए पत्थर/ है सूना सूना वृंदावन, पधारो मेरी राधा जी।"

वरिष्ठ कवि प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, डा पूनम आनन्द, डा पुष्पा जमुआर, कुमार अनुपम, शमा कौसर 'शमा', ईं अशोक कुमार, डा आर प्रवेश, बाँके बिहारी साव, डा शालिनी पाण्डेय, इन्दु भूषण सहाय, स्वर्ग सुमन मिश्र, आदि कवियों और कवयित्रियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।

मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया। प्रो राम ईश्वर सिंह, श्याम मनोहर मिश्र, दुःख दमन सिंह, नन्दन कुमार मीत, हेमंत कुमार सिन्हा आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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