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उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर आस्थावानों ने मांगा आरोग्य, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद

उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर आस्थावानों ने मांगा आरोग्य, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद

  • डॉ. विवेकानंद मिश्र के आवास पर हुआ श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम, अनुपम मिश्र ने 36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा कर किया व्रत समापन

गया (बिहार):
छठ महापर्व की भोर ने जैसे ही धरती को सुनहरी आभा से आलोकित किया, वैसे ही गयाजी की पवित्र भूमि पर श्रद्धा और भक्ति का अनुपम दृश्य दिखाई दिया। लोकआस्था के इस महापर्व पर डॉ. विवेकानंद पथ, गोल बगीचा स्थित डॉ. विवेकानंद मिश्र के आवास पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने परिवार सहित उगते सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया।

पानी में खड़े होकर, वेद-मंत्रों के उच्चारण और लोकगीतों की मधुर गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर के समक्ष आरोग्य, सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। वातावरण में भक्ति, अनुशासन और कृतज्ञता की भावना सहज रूप से झलक रही थी।

सूर्य पूजा भारत की सबसे प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा — डॉ. विवेकानंद मिश्र

इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र ने कहा कि —

“सूर्योपासना भारत की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक परंपरा है। हमने सूर्य पूजा के माध्यम से विश्व को अहिंसा और प्रकृति उपासना का पहला संदेश दिया है। जब हम प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की आराधना करते हैं, तब हम अपने भीतर की ऊर्जा, अनुशासन और श्रद्धा को भी जागृत करते हैं। सूर्य ही समस्त प्राणियों के जीवनदाता हैं, इसीलिए उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना हमारे संस्कारों का हिस्सा है।”

उन्होंने कहा कि छठ पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मसंयम, पर्यावरण-संरक्षण और पारिवारिक एकता का भी उत्सव है। इस पर्व के माध्यम से मानवता यह सीखती है कि प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना ही सच्ची उपासना है।

व्रती अनुपम मिश्र ने 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद अर्पित किया अर्घ्य


पूरे परिवार की आस्था का केंद्र बनी अनुपम मिश्र ने 36 घंटे के निर्जला उपवास का पालन करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का विधिवत समापन किया। उन्होंने विशेष पूजन, हवन और आरती के बाद उपस्थित जनों में प्रसाद वितरण किया।

उनकी श्रद्धा और दृढ़ संकल्प को देखकर सभी उपस्थित लोगों ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यही भक्ति भारतीय नारी की असली पहचान है — त्याग, तप और सेवा।

भक्ति और सद्भाव का रहा माहौल

इस अवसर पर पूरा वातावरण भक्ति-भावना से सराबोर था। छठ गीतों की गूंज, दीपों की ज्योति और अर्घ्य अर्पित करते समय श्रद्धालुओं की आंखों में छलकती आस्था इस पर्व की भव्यता को और बढ़ा रही थी। सूर्यदेव की पहली किरण जैसे ही जल पर पड़ी, वैसे ही सभी ने एक स्वर में ‘जय छठी मइया’ का उद्घोष किया और सूर्यनारायण से जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का आशीर्वाद मांगा।

इन गणमान्य लोगों ने दी सहभागिता

अर्घ्य अर्पण समारोह में प्रमुख रूप से डॉ. विवेकानंद मिश्र, मृदुला मिश्रा, डॉ. ज्ञानेश भारद्वाज, अधिवक्ता दीपक पाठक, कुमार विक्रम मिश्रा, कुमार अमितेश, लकी मिश्रा, चंद्रभूषण मिश्रा, रानी मिश्रा, मालती देवी, अनूप पाठक, अमृता देवी, राजकुमार यादव, संध्या मिश्रा, रवि मिश्रा, मेघा मिश्रा, सुनील यादव, अजय मिश्रा, प्रियांशु मिश्रा, संजय दास, बेबी देवी, संजय मिश्रा, अधिवक्ता अपर्णा मिश्रा, अनुज्ञा मिश्रा, तनिष्का मिश्रा, कुमारी कशिश, श्रीमती सुगंधा पाठक, अनन्या मिश्रा, आयांश मिश्रा, ईशु पाठक, आश्रित, गीतिका पाठक, शोभा देवी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

सभी ने सामूहिक रूप से सूर्य देव से देश और समाज के कल्याण की प्रार्थना की।

आस्था, अनुशासन और प्रकृति के प्रति सम्मान का पर्व

छठ पर्व भारतीय संस्कृति की वह अनुपम परंपरा है जिसमें प्रकृति, जल, वायु, सूर्य और पृथ्वी को देवतुल्य मानकर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जाती है।
यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता, पारिवारिक एकता और पर्यावरण-संरक्षण का संदेश भी देता है।

"सूर्य ही जीवन हैं" — डॉ. मिश्र

समारोह के अंत में डॉ. विवेकानंद मिश्र ने कहा कि —

“सूर्य देव ही जीवन की ऊर्जा हैं। उनके बिना कोई अस्तित्व नहीं। जब हम प्रतिदिन उगते सूर्य को प्रणाम करते हैं, तो हम वास्तव में अपने भीतर की सकारात्मक शक्ति को नमस्कार करते हैं।”


उन्होंने समाज से आह्वान किया कि इस पर्व को केवल पूजा तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन, कृतज्ञता और पर्यावरण-प्रेम के रूप में अपनाएँ।
समापन में हुआ प्रसाद वितरण और सामूहिक मंगलकामना

अर्घ्य अर्पण के उपरांत सभी श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से छठ गीत गाए, प्रसाद वितरण किया और एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएँ दीं। वातावरण में गूंज रहे “जय छठी मइया” के जयकारे के साथ आरोग्य, शांति और समृद्धि की कामनाओं के बीच कार्यक्रम का समापन हुआ। 

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