मिट्टी के दीयों संग,शुभता समृद्धि परंपरा उमंग
कुमार महेंद्रहृदय स्वदेशी सौंधी महक,
निज संस्कृति मान सम्मान ।
प्रदूषण रहित पावन छटा,
समग्र प्रगति प्रेरणा आह्वान ।
तज विद्युत प्रकाश युक्तियां,
वंदन माटी दीपक अपनत्व रंग ।
मिट्टी के दीयों संग,शुभता समृद्धि परंपरा उमंग ।।
पुनीत पावन चरित्र प्रतिष्ठा,
स्नेह प्रेम भाईचारा कड़ी ।
पटाक्षेप राग द्वेष क्रोध बैर,
समूल नाश अंधियारा लड़ी ।
घर द्वार उजियारा निर्झर,
जनमानस उल्लास तरंग ।
मिट्टी के दीयों संग,शुभता समृद्धि परंपरा उमंग ।।
शुद्ध सात्विक देह सौष्ठव,
अंतःकरण मंगल उद्घोष ।
आदर श्रम निष्ठा कुंभकार,
प्रयोग धर्म कर्म परितोष ।
त्याग कृत्रिम चमक दमक,
आत्मसात पर्यावरण कंग ।
मिट्टी के दीयों संग,शुभता समृद्धि परंपरा उमंग ।।
सजग प्रयास बिजली बचत,
कदम आत्म निर्भरता ओर ।
सृजन आजीविका अवसर,
उज्ज्वल भविष्य स्वर्णिम भोर ।
कामना सहर्ष सर्व भागीदारी,
राष्ट्रीयता दीप्ति अंग प्रत्यंग ।
मिट्टी के दीयों संग,शुभता समृद्धि परंपरा उमंग ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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