गोवर्धन पूजा
हुआ था घमंड जब इन्द्र को ,गोकुल को कोप दिखाया था ।
छा गए तब चहुॅं ओर बादल ,
गोकुल ब्रज जल बरसाया था ।।
बरसाया था जोरों की बारिश ,
तब इन्द्र बड़े खुशहाल हुआ था।
डूब रहे हैं सब गोकुल वासी ,
यह देख बड़ा निहाल हुआ था ।।
मचा गोकुल में तब त्राहि त्राहि ,
कृष्ण ने भी ऐसा उपाय रचा ।
उठाया उंगली गोवर्धन पर्वत ,
इन्द्र को न कोई सहाय बचा ।।
तबसे आ रही है यह परंपरा ,
होती है सर्वत्र गोवर्धन पूजा ।
अन्नकूट और चित्रगुप्त पूजा ,
इस दिन धूमधाम होता दूजा ।।
अन्नकूट है भाई बहन त्यौहार ,
चित्रगुप्त कलम दवात पूजा ।
इसी दिन होता यह गो पूजा ,
जो भारत के गली गली गूॅंजा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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