पुरानका राजतंत्र यानि आज का छद्मवेशी प्रजातंत्र
जय प्रकाश कुवंर
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चुनाव के समय आजकल नया रिवाज, देश आउर राज्य में चल गइल बा।
उम्मीदवारी अब कुछ लोग खातिर,
हर जगह खानदानी पेशा बन गइल बा।।
केहू कतनो पढ़ल आउर शिक्षित होखे,
चुनाव का उम्मीदवारी में सब बेकार बा।
पुरानका नेता जी के खानदान के,
अनपढ़ आउर जाहिल ही योग्य उम्मीदवार बा।।
चुनाव क्षेत्र के नेता जी के चेला चमचा सब,
ओही उम्मीदवार के सपोर्ट करत बाड़े।
जुलुस निकालकर खानदानी उम्मीदवार के,
जितावे खातिर ओकर नामांकन करत बाड़े।।
चुनावी क्षेत्र में केहू कतनो शिक्षित होशियार बनी,
उहाँ चुनावी दंगल में फिट ना होई।
उहां दादा नेता, बेटा नेता, पोता नेता बनिहें,
आउर शासन के ताज ओकरे माथा पर होई।।
साफ दिखाई देता की पहिले जे राजतंत्र रहे,
उहे अब छद्मवेश में प्रजातंत्र कहावत बा।
अब देश आउर राज्य के शासन,
कवनो ना कवनो रूप में,
कुछ खास परिवार ही चलावत बा।।
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