लोकनायक जयप्रकाश नारायण: सम्पूर्ण क्रान्ति के महानायक
सत्येन्द्र कुमार पाठक
भारत के इतिहास में कुछ ऐसे नाम हैं जो मात्र व्यक्ति नहीं, बल्कि एक युग, एक विचार और एक आन्दोलन का प्रतिनिधित्व करते हैं। जयप्रकाश नारायण, जिन्हें प्रेम से जेपी और आदर से 'लोकनायक' कहा जाता है, उन्हीं में से एक थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी होने के साथ-साथ, वे आज़ाद भारत में लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़े गए सबसे बड़े संघर्ष, 'सम्पूर्ण क्रान्ति' के सूत्रधार भी थे। 11 अक्टूबर, 1902 को सिताब दियारा (बिहार/उत्तर प्रदेश) में जन्मे जेपी का जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा को समर्पित रहा, जिसने उन्हें 1999 में मरणोपरान्त देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न का अधिकारी बनाया। जेपी का जन्म एक चित्रगुप्तवंशी कायस्थ परिवार में हुआ और उनका विवाह अक्टूबर 1920 में बिहार विभूति ब्रज किशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती से हुआ। पटना में विद्यार्थी जीवन के दौरान ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और प्रतिभाशाली युवाओं को प्रेरित करने के लिए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गए।
उच्च शिक्षा के लिए जेपी 1922 में अमेरिका गए। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली और विसकांसन विश्वविद्यालय में उन्होंने समाज-शास्त्र का अध्ययन किया। अमेरिका में अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उन्होंने खेतों, कम्पनियों और रेस्त्रां में काम किया। इस दौरान वे कार्ल मार्क्स के समाजवाद से गहरे प्रभावित हुए। हालांकि, अपनी माताजी की अस्वस्थता के कारण उन्हें बिना पी.एच.डी. पूरी किए ही 1929 में भारत वापस लौटना पड़ा। समाजवाद के प्रति उनकी यह प्रतिबद्धता उनके पूरे राजनीतिक और सामाजिक दर्शन का आधार बनी।
जब जेपी अमेरिका से लौटे, तब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था। उनका सम्पर्क जवाहर लाल नेहरू से हुआ और वे शीघ्र ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बन गए। 1932 में जब गांधी, नेहरू और अन्य बड़े नेता जेल गए, तब जेपी ने देश के विभिन्न हिस्सों में भूमिगत रहकर आंदोलन का नेतृत्व किया। इसी क्रम में उन्हें सितम्बर 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया और नासिक जेल भेजा गया। नासिक जेल में उनकी मुलाकात मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल में हुई गहन चर्चाओं के परिणामस्वरूप कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (CSP) का जन्म हुआ, जो कांग्रेस के भीतर समाजवादी विचारों की पक्षधर थी। 1934 में जब कांग्रेस ने चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया, तब जेपी और सीएसपी ने इसका विरोध किया, क्योंकि वे सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन पर विश्वास रखते थे।
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939) के दौरान, जेपी ने अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया। उन्हें टाटा स्टील कम्पनी में हड़ताल कराने और सरकार को इस्पात न पहुँचने देने के प्रयास के लिए गिरफ्तार किया गया।
1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान जेपी की वीरता सबसे अधिक मुखर हुई। वे हजारी बाग जेल से फरार हो गए। उन्होंने नेपाल जाकर 'आज़ाद दस्ता' नामक संगठन का गठन किया और उसे प्रशिक्षित किया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों का उपयोग भी न्यायसंगत हो सकता है। सितम्बर 1943 में उन्हें पंजाब में चलती ट्रेन में फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी रिहाई अप्रैल 1946 में हुई, जिसके लिए गांधी जी ने स्पष्ट कर दिया था कि लोहिया और जेपी की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई समझौता नहीं हो सकता।
आज़ादी के बाद, 1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया। बाद में, गांधीवादी दल के साथ मिलकर उन्होंने सोशलिस्ट सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। हालांकि, सत्ता की राजनीति से उनका मोह जल्द ही भंग हो गया।
19 अप्रैल, 1954 को उन्होंने गया, बिहार में विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन के लिए अपना जीवन समर्पित करने की घोषणा की। 1957 में उन्होंने औपचारिक रूप से राजनीति छोड़कर लोकनीति के पक्ष में काम करने का निर्णय लिया। रमन मैगसेसे पुरस्कार (1965) उन्हें इसी लोकसेवा के लिए प्रदान किया गया। इस काल में उन्होंने डाकुओं के आत्मसमर्पण और शांति स्थापित करने जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य किए। 1970 के दशक में, जेपी ने गिरते स्वास्थ्य के बावजूद राजनीति में पुनः सक्रियता दिखाई। वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों और तत्कालीन सरकारी भ्रष्टाचार के विरुद्ध थे। 1974 में, बिहार में छात्र आन्दोलन शुरू हुआ, जिसने जेपी को अपना नेतृत्व सौंपा। इस आन्दोलन का लक्ष्य केवल राज्य सरकार का इस्तीफा नहीं, बल्कि सम्पूर्ण व्यवस्था में परिवर्तन लाना था। 5 जून, 1975 को पटना के गांधी मैदान में छात्रों के विशाल समूह के समक्ष जेपी ने 'सम्पूर्ण क्रान्ति' का उद्घोष किया।
जेपी ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और शिक्षा की समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं, जब सम्पूर्ण व्यवस्था को बदल दिया जाए। सम्पूर्ण क्रान्ति में उन्होंने सात क्रांतियों को शामिल राजनैतिक क्रान्ति ,आर्थिक क्रान्ति , सामाजिक क्रान्ति ,सांस्कृतिक क्रान्ति , बौद्धिक क्रान्ति , शैक्षणिक क्रान्ति आध्यात्मिक क्रान्ति किया । यह केवल सरकार बदलने का आन्दोलन नहीं था, बल्कि व्यक्ति और समाज के सम्पूर्ण रूपांतरण का आह्वान था।
सम्पूर्ण क्रान्ति की इस तपिश ने इंदिरा गांधी की सत्ता को सीधी चुनौती दी। जवाब में, 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी, जिसके तहत जेपी सहित 600 से अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बना लिया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। जेल में जेपी का स्वास्थ्य और बिगड़ गया। 7 महीने बाद उन्हें मुक्त किया गया।
1977 में, जेपी के प्रयासों से एकजुट हुए विरोध पक्ष ने चुनाव में इंदिरा गांधी को हरा दिया, जिससे लोकतंत्र बहाल हुआ। इस प्रकार, जयप्रकाश नारायण ने आज़ादी के बाद देश में लोकतंत्र के दूसरे जन्म का नेतृत्व किया।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी।
उनकी विरासत आज भी अनेक संस्थाओं और नेताओं में जीवित है। पटना के हवाई अड्डे का नाम लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र है और दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल भी उन्हीं के नाम पर है। लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील मोदी जैसे वर्तमान भारतीय राजनीति के कई प्रमुख नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे, जिसका नेतृत्व जेपी ने सम्पूर्ण क्रान्ति के दौरान किया था।जयप्रकाश नारायण का जीवन त्याग, निस्वार्थ सेवा और लोकतंत्र के प्रति अटूट आस्था का प्रतीक है। वे सच्चे अर्थों में लोकनायक थे, जिन्होंने न केवल देश को आज़ादी दिलाने में भूमिका निभाई, बल्कि आज़ादी के बाद देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए भी अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com