Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

हे छठ मैया,दो ऐसा वरदान

हे छठ मैया,दो ऐसा वरदान


मृदुल मधुर ह्रदय तरंग,
स्वर श्रृंगार अनुपम ।
विमल वाणी ओज गायन,
ज्योतिर्मय अन्तरतम ।
मानस सर नवरस लहर,
सर्वत्र गूंजे मधुमय गान ।
हे छठ मैया,दो ऐसा वरदान ।।


दुर्बल छल बल मद माया,
प्रसरित जग जन जन ।
प्रदत्त निर्मल विमल मति,
तमस हर कण कण ।
नवगति नवलय जग अनूप,
नव दृष्टि भर दो नवल ज्ञान ।
हे छठ मैया,दो ऐसा वरदान ।।


हे कृपानिधि करुणामय,
दया नीर कण छलका दो ।
प्यासे नयन अंतरस्थ,
निज स्वरूप झलका दो ।
पुलकित पावन चरण बिंदु,
अष्ट प्रहर जनमानस संज्ञान ।
हे छठ मैया,दो ऐसा वरदान ।।


समय काल स्वर्ण आभा,
सर्वत्र मोद उल्लास ।
आनंद वैभव अथाह कृपा,
प्रबल आस्था विश्वास ।
प्रेम सुमन महके जीवन ,
कर दो समृद्धि संपदा प्रदान ।
हे छठ मैया,दो ऐसा वरदान ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ