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पांच पर्वों का गीत

पांच पर्वों का गीत

सत्येन्द्र कुमार पाठक
धनतेरस का दिन है आया, पूजा-थाली लाओ।
नए बर्तन माँ-पापा संग, ख़ुशी-ख़ुशी ले आओ॥
छोटी दिवाली आई देखो, दीप जलाओ प्यारे।
अंधकार सब दूर भगाओ, छत और द्वारे-द्वारे॥
दिवाली का पर्व बड़ा है, लक्ष्मी जी को पूजो।
पटाखे कम चलाओ बच्चों, बात हमारी बूझो॥
रंगोली के रंग सजाओ, मिठाई सब मिल खाओ।
आस-पड़ोस में जाकर सब, ढेर बधाई गाओ॥
गोवर्धन पूजा है आई, पर्व प्रकृति का सुंदर।
गौ-धन की रक्षा का लो, संकल्प हम सब मिलकर॥
भैया दूज का दिन आया है, बहनें करतीं आरती।
भाई-बहन का प्यार बढ़ाए, यह रस्म सुख-भारती॥
ये पाँचों त्यौहार हमारे, लाते हैं उजियारा।
खुशियों से भर जाए जग यह, चमक उठे हर तारा॥
सब मिल-जुलकर इन्हें मनाओ, फैलाओ बस प्रीति।
गीत ख़ुशी के गाते जाओ, यही जगत की नीति॥


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