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छठ गीत

छठ गीत

रचना --- डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
छठ के वरत बड़ा पावन,
मनसा पुरावन हो…
बरतीन निर्मल हो के, छठ वरतनि
सुरुज देवता नमन हो…॥


अरघ दिहीं सुरज भगवान,
जल में खड़ि बरतिन सम्मान हो…
सुख समृद्धि बरसे घर अंगना,
भइल पावन बिहान हो…॥


काँचहि के टोकरी सजल,
थेवा में ठेकुआ परोसल हो…
दूध अर्घ जल फल फूल,
भक्ति से सुरज के जोसल हो…॥


नदी किनारे भइल उजियारा,
गीत गावत सब संगी सखियन हो…
सूरज देव हँसि दर्शन दिहले,
पूरल मन के अभिलाषन हो…॥


छठी मइया के जय-जयकार,
हर घर गूंजे अब नाम हो…
सत् भक्ति, सच्चा प्रेम,
एही में बसल सवों के धाम हो…॥
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